Book Title: Shastra Sandeshmala Part 22
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || १ || ||४|| वाचकश्रीलावण्यविजयविरचिता ॥ द्रव्यसप्ततिका ॥ सिरि-वीर-जिणं वंदिय, धम्म-गुरुं तत्त-बोहगं धीरं । देवा-ऽऽइ-दव्व-तत्तं, सुआ-ऽणु-सारे णिरूवेमि ओहारण-बुद्धीए देवा-ऽऽईणं पकप्पिअंच जया। जं धण-धण्ण-प्पमुहं, तं तद्-दव्वं इह णेयं ॥ २॥ भेया-वुड्डी-णासो गुण-दोसा पायच्छित्त-दिट्ठऽन्ता । एएहिं दुवारेहि, एअस्स परूवणा णेया ॥३॥ तं णेयं पंच-विहं चेइय-दव्वं च गुरुअ-दव्वं च । णाणं साहारणगं धम्मं, पत्तेयं तं ति-विहं अहिगारी य गिह-त्थो सुह-सयणो वित्तमं जुओ कुल-जो। अ-खुद्दो धिइ-बलिओ, मइमं तह धम्म-रागी य ॥५॥ गुरु-पूआ-करण-रई, सुस्सूसा-ऽऽइ-गुण-संगओ चेव।। णायाऽहिगय-विहाणस्स, धणियमाऽऽणा-पहाणो य ॥६॥ मग्गा-ऽणुसारी पायं, सम्म-ट्ठिी तहेव अणु-विरई । एएऽहिगारिणो इह विसेसओ धम्म-सत्थम्मि ॥७॥ जिण-वर-आणा-रहियं, वड्वारंता वि के वि जिण-दव्वं । बुड्डन्ति भव-समुद्दे, मूढा मोहेण अण्णाणी समये सड्ढो चितइ चेइयमाऽऽई, व दु-त्थियं अण्णं । उग्गाहिणी उ सययं, दव्वुब्बुड्ढी ण अण्णहा णो माया, णो पिया, णो भज्जा, ण सरीरं, णेव बांधवा। पिच्छए तत्थ ठाणम्मि, जत्थ अत्थं तु पिच्छए ॥१०॥ अ-गिद्धो जो उ दव्वम्मि, जिण-उत्थं णेइ वित्थरं । एएणं सो महा-सत्तो, वुच्चए जिण-सासणे उपर। ॥ ८ ॥ ॥९ ॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 428