Book Title: Shastra Sandeshmala Part 21
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥३६॥ ॥ ३७॥ ॥ ३८ ॥ ॥ ३९ ॥ ॥ ४० ॥ ।। ४१ ॥ अविजियहिरिकुच्छाणं जइ गुणं संजमे ण अहिगारो । ता कह अजिअदिगिच्छातण्हाणं तत्थ अहिगारो ? अह हिरिकुच्छाहि सयाऽहिरिकुच्छसहावभावणा णो चे। तण्हाछुहाहि ता कह तदभावसहावसंबुद्धी उस्सग्गववायाणं मित्तीए अह ण भोअणं दुटुं । उस्सग्गववायाणं मित्तीइ तहेव उवगरणं एएणुवगरणेणं पच्चक्खाणस्स दव्वओ भंगो। इय कप्पणावि विहवाजुव्वणमिव णिप्फला णेया सिद्धन्तसिद्धधरणं उवगरणं तं मुणीण सुहकरणं । अह होई पावहरणं इय अम्हं बिन्ति आयरिया पुच्छा दियंबराणं केवलमज्झप्पिआण उवहासो । अम्हाणं पुण इहयं दोण्हवि पडिआरवावारो पंचसमिओ तिगुत्तो सुविहियववहारकिरियपरिकम्मो । पावइ परमज्झप्पं साहू विजिइन्दियप्पसरो लुंपइ बझं किरियं जो खलु आहच्चभावकहणेणं । सो हणइ बोहिबीअं उम्मग्गपरूवणं काउं सव्वं सहावसझं णिच्छयओ, परकयं च ववहारा । एगन्ते मिच्छत्तं, उभयणयमयं पुण पमाणं अब्भन्तरबज्झाणं बलिआबलियत्तणं ति जइ बुद्धी। नणु कयरं अबलत्तं वेचित्तं वावि वेसम्म णिप्फत्ती व फलट्ठा अणिययजोगो फलेण वा सद्धि । पढमे समसामग्गी बिइए वावारवेसम्म तइए दोण्ह वि समया चउत्थपक्खो पुणो असिद्धो त्ति । तेण समावेक्खाणं दोण्ह वि समय त्ति वत्थुठिई |॥ ४२ ॥ ॥४३॥ ।।४४ ॥ ।। ४५ ॥ ।। ४६ ॥ ।। ४७॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 442