Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 29 // जह पुण ते चेव मणी जहा गुणविसेसभागपडिबद्धा / रयणावलि त्ति भन्नइ जहन्ति पाडिक्कसत्राओं // 24 // तह सव्वे नयवाया जहाणुरूवं वि णिउत्तवत्तव्वा / सम्मदंसणसदं लहंति न वि सेस (स) त्राओ // 25 // लोइअपरिच्छिअसुहो निच्छयवयणपडिवत्तिमग्गो अ। अह पन्नवणाविसओ त्ति तेण वीसत्थमुवणीओ // 26 // इहरा समूह सिद्धो परिणामकउ व्व जो जहिं अत्थो / ते तं च ण तं तं चेव व त्तिणिअमेण मिच्छत्तं // 27 // निअयवयणिज्जसच्चा सव्वनया परिविआलणे दोसा / ते उण निदिट्ठसमट्ठ विभयइ सच्चे व अलिए वा // 28 // दव्वट्ठिअवत्तव्वं सच्चं सच्चेण निच्चमविअप्पं / . आरद्धो अ विभागो पज्जववत्तव्वमग्गो अ सो पुण समासओ चिअ वंजणनिअओ अ अत्थनिअओ अ / अत्थगओ अ अभिन्नो भइअव्वो वंजणविगप्पो // 30 // एगदविअम्मि जे अत्थपज्जवा वयणपज्जवा वा वि। तीआणागयभूआ तावइअं तं हवइ दव्वं . // 31 // पुरिसम्मि पुरिससद्दो जम्माईमरणकालपज्जंतो। / तस्स उ बालाईआ पज्जवजोगा बहुविगप्पा // 32 // अस्थि त्ति निव्विअप्पं पुरिसं जो भणइ मुरिसकालम्मि / सो बालाइविगप्पं न लहइ तुल्लं व पाविज्जा // 33 // वंजणपज्जायस्स उ पुरिसो पुरिसो त्ति निच्चमविअप्पो / बालाइविगप्पं पुण पासइ से अत्थपज्जाओ // 34 // सविअप्प निव्विअप्पं इअ पुरिसं जो भणिज्ज अविअप्पं / सविअप्पमेव वा निच्छएण न य निच्छिओ समए // 35 //
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