Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 15
________________ केवलनाणावरणक्खयजायं केवलं जहा नाणं / तह दंसणं पि जुज्जइ निअआवरणक्खय स्संते // 59 // भन्नइ खीणावरणे जइ (ह) मइनाणं जिणे न संभवइ / .... तह खीणावरणिज्जे विसेसओ दंसणं नत्थि // 60 // सुत्तम्मि चेव साई अवज्जवसिअंति केवलं भणिअं। सुत्तासायणभीरुहिं तं पि. दट्ठव्वियं होइ // 61 // संतम्मि केवले दंसणम्मि नाणस्स संभवो नत्थि। केवलनाणम्मि अ दंसणस्स तम्हा समिहणाई... // 62 // दंसणनाणावरणक्खए समाणम्मि कस्स पुव्वयरं / ... होज्ज समं उप्पाओ हंदि दुवे नत्थि उवओगा // 63 // जइ सव्वं सायारं जाणाइ सव्वसमएण सव्वन्नू / जुज्जइ सया वि एवं अहवा सव्वं न याणाइ // 64 // परिसुद्धं सागारं अविअत्तं दंसणं अणागारं / नय खीणावरणिज्जे जुज्जइ सविअत्तमविअत्तं // 65 // अद्दिटुं अन्नायं केवली एव भासइ सया वि / एगसमएण हंदी वयणविअप्पो न संभवइ // 66 // अन्नायं पासंतो अदिटुं च अरहा विआणंतो। किं जाणइ किं पासइ कह सव्वण्णु त्ति वा होइ // 67 // केवलनाणमणंतं जहेव तह दंसणं पि पण्णत्तं / सागारग्गहणाहिअ निअमपरितं अणागारं // 68 // भण्णइ जह चउनाणी जुज्जइ निअमा तहेव एअंपि। . भण्णइ न पंचनाणी जहेव अरहा तहेअंपि . // 69 // पण्णवणिज्जा भावा समत्तसुअनाणदंसणा विसओ / ओहिमणपज्जवाण उ अन्नोन्नविलक्खणो विसओ. // 70 //

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