Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 16
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ दव्वं पज्जवविउयं दव्वविउत्ता य पज्जवा नत्थि। उप्पायठिईभंगा हंदि दविअलक्खणं एअं // 12 // एए पुण संगहओ पाडिक्कमलक्खणं दुविण्हं पि। तम्हा मिच्छद्दिट्ठी पत्तेअं दो वि मूलनया // 13 // ण य तइओ अस्थि नओ न य सम्मत्तं न तेसु पडिपुण्णं / जेण दुवे एगंते विभज्जमाषा अणेगंतो // 14 // जह एए तह अन्ने पत्तेयं दुण्णया नया अन्ने / हंदि हु मूलनयाणं पन्नवणे वावडा ते वि। // 15 // सव्वनयसमूहम्मि वि नत्थि नओ उभयवायपण्णवओ। मूलनयाण उ आणं पत्तेअविसेसि बिति // 16 // ण य दव्वट्ठिअपक्खे संसारो णेय पज्जवनयस्स / सासयवियत्तिवाई जम्हा उच्छेअवाइआ . // 17 // सुहदुक्खसंपओगो न जुज्जई निच्चवायपक्खम्मि / एगं तुच्छेअम्मि वि सुहदुक्ख विअप्पणमजुत्तं // 18 // कम्मं जोगनिमित्तं बज्झइ बंधट्ठिई कसायवसा। अपरिणउच्छिण्णेसु अ बंधट्टिई कारणं नत्थि . // 19 // बंधम्मि अपूरंते संसारभओहदंसणं मोज्झं / बंधं च विणा मोक्खसुहपत्थणा णत्थि मोक्खो य. // 20 // तम्हा सव्वे वि नया मिच्छद्दिट्ठी सपक्खपडिबद्धा / अन्नोन्ननिस्सिआ उण हवंति संमत्तसब्भावा . // 21 // जह णेगलक्खणगुणगणवेरुलिआइमणी विसंजुत्ता / रयणावलिववएसं न लहंति महग्घमुल्ला वि . // 22 / / तह निअयवायसुविनिच्छिआ वि अन्नोन्नपक्खनिरवेक्खा / सम्मइंसणसदं सव्वे वि नया न पावंति // 23 //
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