Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 14
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ एवं कयपरिकम्मो सब्भिंतरबाहिरम्मिं संलिहणे / साहेउमुत्तमटुं गुरुपयमूले तओ एइ // 24 // तह संलिहियतणुस्स वि खवगस्स परिच्छणं तओ गुरुणा / कायव्वं आराहणमहसागरपारगमणत्थं / // 25 // अज्जो ! किं संलेहो कओ? उ न कओ ? त्ति एवमुदियम्मि / भंतुं अंगुलि दावे, पिच्छह ता, किं कओ? न कओ? // 26 // न हु ते दव्वसंलेहं पुच्छे, पासामि ते किसं / कीस ते अंगुली भग्गा ? भावं संलिह तूर मा // 27 // इंदियाणि कसाए य गारवे य किसे कुरु / न चेयं ते पसंसामि किसं साहु ! सरीरगं // 28 // पासत्थोसन्न-कुसीलठाणपरिवज्जिया उ निज्जवगा / पियधम्म वज्जभीरू गुणसंपन्ना अपरितंता // 29 // मरणसमाहीकुसला इंगिय-पत्थियसहाववित्तारो / ववहारविहिविहिन्नू अब्भुज्जयमरणसारहिणो // 30 // कडजोगी कालन्नू बुद्धीए चउव्विहाए उववेया। छंदन्नू पव्वइया पच्चक्खाणम्मि य विहिन्नू // 31 // कप्पाऽकप्पे कुसला समाहिकरणुज्जया सुयरहस्सा। मुणिणो अडयालीसं गुरुदिन्ना हुंति निज्जवगा // 32 // उव्वत्त दार संथार कहग वाई य अग्गदारम्भि। भत्ते पाण वियारे कहग दिसा जे समत्था य उव्वत्तण-परियत्तण-पसारणा-5ऽकुंचणाइसं चउरो / खवगस्स समाहाणं करिति निज्जामगा मुणिणो // 34 // चउरोऽभिंतरदारे चिटुंती संथरंति संथारं / चउरो य अपरितंता धम्मकहकहितगा चउरो // 33 // // 35 //

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