Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 14
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 11
________________ // 12 // // 13 // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // वासं कोडीसहियं आयाम कट्ट आणुपुव्वीए / संलेहित्तु सरीरं भत्तपरिनं पवज्जेइ / उक्कोसगा उ एसा 1 एवं मासेहिं मज्झिमा नेया 2 / संलेहणा जहण्णा एमेव य भवइ पक्खेहिं 3 देहम्मि असंलिहिए सहसा धाऊहिं खिज्जमाणाहिं / जायइ अट्टज्झाणं सरीरिणो, चरिमकालम्मि एवं सरीरसंलेहणाविहिं बहुविहं च फासिंतो। अज्झवसाणविसुद्धिं खणमवि खवओ न मुंचिज्जा अज्झवसाणविसुद्धी कसायकलुसियमणस्स नत्थि त्ति / अज्झवसाणविसुद्धी कसायसंलेहणा भणिया कोहं खमाए, माणं मद्दवया, अज्जवेण मायं च / संतोसेण य लोहं जिणइ हु चत्तारि वि कसाए पडिचोयणअसहणवायखुहियपडिवयणइंधणाइद्धो / चंडो हु कसायग्गी सहसा संपज्जलिज्जा हि .. जलिओ हु कसायग्गी चरित्तसारं डहिज्ज कसिणं पि / सम्मत्तं पि विराहिय अणंतसंसारियं कुज्जा तारिष कुज्जा तम्हा हु कसायग्गिं पढम उप्पज्जमाणयं चेव / इच्छा-मिच्छादुक्कडचंदणसलिलेण झंपिज्जा तह चेव नोकसाया संलिहियव्वा परेणुवसमेण / सन्नाओ गारवाणि य इंदिय विकहाओ विसया य असुहाई झाणाई असुहा लेसाओ राग-दोसा य / मयठाण भयट्ठाणा तिन्नि य सल्ला महल्ला य विविहतवसोसियंगो वियडसिरा-न्हारु-पंसुलिकडाहो / संलिहियतणू खवगो अज्झप्परओ हवइ निच्चं // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 //

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