Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 114 // छिण्णा य तीइ पंखा से सीसं हथिएहिं दक्खेहिं / सा विलवंती पडिआ पव्वयसिहर व्व महिवढे // 111 // फालाविआ य रण्णा पुट्टे दिट्ठो अ अयगरो विउलो / सगडस्स ईदरो विव खोडी विव महिअले पडिआ // 112 // अह भणइ णरवरिंदो फालिज्जउ एस अयगरो विउलो / एयस्स वि मा मज्झे माणुसतिरिअं च हुज्जाहि // 113 // अह फालिअम्मि उ अरे दिट्ठा सा छालिआ महाकाया / तीए वि उअरमज्झे रमणिज्जं चिब्भडं दिटुं ही ही अहो महल्लं ति चिब्भडं जाव जंपए राया / तो घोडया वि रमिउं णवरि ठिया. उज्जवंसकरा // 115 // णिग्गंतुं च पवत्तो वालुक्काओ तओ जणसमूहो / जह सलभाण य सेणा रेप्फबिलाओ विणिक्खमइ // 116 // णमिऊण जिणवरिंदं तो सो सचउप्पओ जणो सव्वो। णियणियठाणाई गओ अहं पि पत्तो इमं णयरिं // 117 // एअं मे अणुभूअं पच्चक्खमिहेव माणुसे लोए। जो मे ण पत्तिआयइ धुत्ताणं देउ सो भुति // 118 // अह भणइ एलसाढो-'पत्तिज्जामो ण किंचि संदेहो' / पडिभणइ कंडरीओ - 'गामो कह चिब्भडे माओ? // 119 // ''डिभणइ एलसाढो पुराण-भारह-सुईदिट्ठत्थो . किं तुहं विण्हुपुराणं कण्णसुइपहं न पत्तं ते // 120 // पुविं आसि जगमिणं पंचमहाभूअवज्जिअं गहिरं / एगण्णवं जलेणं महप्पमाणं तहिं अंडं // 121 // वीईपरंपरेणं घोलंतं अच्छिउं सुचिरकालं / फुट्ट दुभागजायं अद्धं भूमीइ संवुत्तं // 122 // - 2015

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