Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 292
________________ अच्छरसा जइ एवं तिलुत्तमा णिम्मिआ सुरगणेहिं / तो कह तुज्झ वि अंगा लाइज्जंता न लग्गिज्जा // 204 // अण्णाणंगावयवा जइ लग्गा संमिलिस्सिआ संतो / तो ससरीरावयवा भणसु तुहं किं न लग्गति // 205 / / सुव्वइ य पवणतणओ बालत्ते अंजण त्ति णामेणं / जणणि पुच्छइ अम्मो को मे छुहियस्स आहारो // 206 // रत्ताई वणफलाइं आहारो तुज्झ तेण अह सूरो(रं ?) / गहिउं समुट्ठिअं तो तेणावि तलप्पहारेणं // 207 // सयसिक्करो कओ सो जणणी से दट्ट तं पइण्णंगं / भत्तुसयासे गंतुं विलवइ सोगाउरा कलुणं // 208 // दटुं निअयकलत्तं रोअंतिं बहुविहाई कंदति / दट्टण य हणुअंतं पुत्तं परलोअसंकंतं // 209 // तो पवणो परिकुविओ पायाले पविसिउं ठिओ ताहे / ससुरासुरं जगमिणं पवणशिरोहेण आदण्णं // 210 // गंतुं च तत्थ दिट्ठो पसाइओ सुरवरेहिं सो पवणो / अंगाई तस्सुअस्स वि संधाएउं कओं सजीओ // 211 // इक्का य तस्स हणुया ण य दिट्ठा सुरवरेहिं सव्वेहिं / हणुयाइ एस अण्णो हणुअंतो तो कओं णामं // 212 // जइ सच्चं पवणसुओ खंडाखंडिकओ वि संमिलिओ / तो कह सक्का वुत्तुं जुज्झ अउव्वं वयंणमेअं // 213 // दसरहतणयकहाए सीआदेवीइ हरणसंबंधे / सेउं संधावेउं लंकादीवं गए रामे // 214 // दसमुह-रामबलाणं दुण्ह वि भडवाययं वहंताणं / . संगामम्मि पलग्गे हण हण सद्दाउले घोरे // 215 // 283

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