Book Title: Shantinath Puran
Author(s): Sakalkirti Acharya, Lalaram Shastri
Publisher: Vitrag Vani Trust

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ * स्वाध्याय करते समय इसे पढ़ना आवश्यक है। ॐ नमः सिद्धेभ्यः ओंकार बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव, ओंकाराय नमो नमः ॥१॥ अविरलशब्दघनौघ प्रक्षालितसकलभूतलकलंका । मुनिभिरुपासिततीर्था सरस्वती हरतु नो दुरितान् ॥२॥ अज्ञानतिमिरांधानां ज्ञानांजनशलाकया । चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥ श्रीपरमगुरवे नमः, परम्पराचार्य श्रीगुरवे नमः । सकलकलुषविध्वंसकं श्रेयसां परिवर्धकं धर्म संबंधकं भव्यजीवमनः प्रतिबोधकारकमिदं शास्त्रं “श्री शांतिनाथ पुराण" नामधेयं, एतन्मूलग्रन्थकर्त्तारः श्रीसर्वज्ञदेवास्तदुत्तरग्रंथकर्त्तारः श्रीगणधरदेवाः प्रतिगणधरदेवास्तेषां वचोऽनुसारमासाद्य श्री सकलकीर्ति आचार्येण विरचितम् पं. श्री लालाराम शास्त्री अनूदितम् । मंगलं भगवान् वीरो मंगलं गौतमो गणी । मंगलं कुन्दकुन्दाद्यो जैन धर्मोऽस्तु मंगलम् ॥ सर्व मंगल्य मांगल्यं सर्व कल्याण कारकं । प्रधानं सर्व धर्माणां जैनं जयतु शासनम् ॥ सर्वे श्रोतारः सावधानतया श्रृण्वन्तु ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 278