Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 38 Nandisootra Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 12
________________ आगम (४४) [भाग-३८] “नन्दी”- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ....................... मूलं -/गाथा|| || ........... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४४] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्ति: E SAScootCERCES ॐ अहम् । श्रीमन्मलयगिर्याचार्यप्रणीतवृत्तियुतं श्रीमदार्यमहागिर्यावलिकागतश्रीमदृष्यगणिशिष्याचार्यवर्यश्रीमद्देववाचकक्षमाश्रमणनिर्मित श्रीमत् नन्दीसूत्रम्। - pokesजयति भुवनैकभानुः सर्वत्राविहतकेवलालोकः । नित्योदितः स्थिरस्तापवर्जितो वर्धमानजिनः॥१MA जयति जगदेकमङ्गलमपहतनिःशेषदुरितघनतिमिरमारविबिम्बमिव यथास्थितवस्तुविकाशं जिनेशवचः HI इह सर्वेणय संसारमध्यमध्यासीनेन जन्तुना नारकतिर्यग्नरामरगतिनिबन्धनविविधशारीरमानसानेकदुःखोपनिपात पीडितेन पीडानिर्वेदतः संसारपरिजिहीर्षया जन्मजरामरणरोगशोकाद्यशेषोपद्रवासंस्पृश्यपरमानन्दरूपनिःश्रेयसपद६ मधिरोटुकामेन तदवाप्तये खपरसममानसीभूय स्वपरोपकाराय यतितव्यम्, तत्रापि महत्यामाशयविशुद्धौ परोपकृतिः कर्तुं शक्यते इत्याशयविशुद्धिप्रकर्षसम्पादनाय विशेषतः परोपकारे यत्न आस्थेयः, परोपकारश्च द्विधा-द्रव्यतो भा-3 वृत्तिकार-कृत् मांगलिकम् एवं प्रस्तावना ~ 12~

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