Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 38 Nandisootra Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
View full book text
________________
आगम
(४४)
[भाग-३८] “नन्दी”- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
............................. मूलं -/गाथा||१|| .......... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४४] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्ति:
श्रीमलयगिरीया नन्दीवृत्तिः
नन्दीनिक्षेपाः
प्रत सूत्रांक ||१||
दीप
देचे तूरसमूदओ" तानि च द्वादश तूर्याण्यमूनि-"मैं'भा मुकुंद मद्दल कडवं झलैरि हुर्द्धक्क कंसाला। काहल तलिमा बसो संखो पणदो य बारसमो ॥ १॥" भावनन्दिधिा-आगमतो नोआगमतश्च, तत्रागमतो नन्दिपदार्थस्य ज्ञाता तत्र चोपयुक्तः, 'उपयोगो भावनिक्षेप' इति वचनात्, नोआगमतः पञ्चप्रकारज्ञानसमुदयः, 'भावम्मि य पञ्चनामाई' इति वचनात्, अथवा पञ्चप्रकारज्ञानखरूपमात्रप्रतिपादकोऽध्ययनविशेषो भावनन्दिः, नोशब्दस्सैकदेशवचनत्वात, अस्स चाध्ययनस्य सर्वश्रुतैकदेशत्वात्, तथाहि-अयमध्ययनविशेषः सर्वश्रुताभ्यन्तरभूतो वर्तते, तत एकदेशः, अत एव चायं सर्वश्रुतस्कन्धारम्भेषु सकलप्रत्यूहनिवृत्तये मङ्गलार्थमादौ तत्त्ववेदिभिरभिधीयते, अस्य च मझलस्थानप्राप्तस्य व्याख्याप्रक्रमे पूर्वसूरयो विनयानां सूत्रार्थगौरवोत्पादनार्थमविच्छेदेन तीर्थकराद्यावलिका आचक्षते, तत आचार्योऽपि देववाचकनामा ज्ञानपञ्चकं व्याचिख्यासुः प्रथमत आवलिका अभिधित्सुरविलेन अध्यापकश्रावकपाठकचिन्तकानामभिलषितार्थसिद्धये 'अनादिमन्तस्तीर्थकरा' इतिज्ञापनार्थ सामान्यतो भगवत्तीर्थकृतस्तुतिमभिधातुमाहजयइ जगजीवजोणीवियाणओ जगगुरू जगाणंदो। जगणाहो जगबंधू जयइ जगप्पियामहो भयवं ॥१॥
इह स्तुतिर्द्विधा-प्रणामरूपा असाधारणगुणोत्कीर्तनरूपा च, तत्र प्रणामरूपा सामर्थ्यगम्या, यथा च सामर्थ्य। १ द्रव्ये तूर्यसमुदयः।
अनुक्रम
॥२
॥
भगवत् तिर्थकर (सामान्य) स्तुति
~15

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 528