Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 33 Pindniryukti Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 12
________________ आगम (४१/२) [भाग-३३] “पिण्डनियुक्ति”- मूलसूत्र-२/१ (मूलं+नियुक्ति:+वृत्ति:) मूलं [-] » “नियुक्ति: +] + भाष्यं [-] + प्रक्षेपं - . पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४१/२], मूलसूत्र-०२/२] पिण्डनियुक्ति मूलं एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत गाथांक नि/भा/प्र II-II श्रेष्ठि-देवचन्द्र लालभाई-जैनपुस्तकोद्धार-ग्रन्थाङ्केश्रीमद्रबाहुस्वामिप्रणीता-सभाष्या-श्रीभन्मलयगिर्याचार्यविवृता, श्रीपिण्डनियुक्तिः। दीप अनक्रम ॥ॐ नमो वीतरागाय ॥ जयति जिनवर्द्धमानः परहितनिरतो विधूतकर्मरजाः । मुक्तिपथचरणपोषकनिरवद्याहारविधिदेशी ॥१॥ नत्वा गुरुपदकमल गुरूपदेशेन पिण्डनियुक्तिम् । निढणोमि समासेन स्पष्ट शिष्पावबोधाय ॥२॥ आह-नियुक्तयो न स्वतन्त्रशास्त्ररूपाः किन्तु तत्चत्सूत्रपरतन्त्राः, तथा तद्व्युत्पत्याश्रयणात् , तथाहि-सूत्रोपासा अर्थाः स्वरूपेण सम्बद्धा अपि शिष्यान् प्रति नियुज्यन्ते-निश्चितं सम्बद्धा उपदिश्य व्याख्यायन्ते यकाभिस्ता नियुक्तयः, भवताऽपि च प्रत्यक्षायि-'पिण्डनियुक्तिमहं वितृणोमि, ' तदेषा पिण्डनियुक्तिः कस्य सूत्रस्य प्रतिबद्धेति !, उच्यते, इह दशाध्ययनपरिमाणश्चूलिकायुगलभूपितो दशवै १ उपदर्य पू० वृत्तिकार रचिता आरंभिकगाथा: ~12

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