Book Title: Saptadash Puja Prakaran Garbhit Shantinath Stavan
Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ सप्टेम्बर २००८ फूलमहल रचिये भलो रे लाल, फूलतोरण सुविसाल सुखकारी रे, फूल तणां तिम चंद्रूआ रे लाल, फूलारी वन्नरमाल सुखकारी रे, आभरणे.... २५ फूल तणा झूबखा भला रे लाल, फूलमंडप ससनेह सुखकारी रे, फूलघरइ मन मोहियो रे लाल, इग्यारमी पूजा अह सुखकारी रे, आभरणे.... २६ __ढाल-छठ्ठी [राग० खंभायती जानु प्रमाणे देवता रे, फूलपगर वरसावै रे, सरस सुगंध सुहामणो रे, जोजन फूल बिछावै रे, सुभ भावरसु, भवियण जिनवर पूजियइ रे, मनरंगेसु, मानवभव सफलो कीजीय रे (आंकणी) .... २७ पग देतां पिडा न 8 रे, जिन अतिशय परभ(भा)वे रे, फूलपगर ईम किजिये रे, बारमी पूज सुहावै रे, सुभ भाव.... २८ दर्पण भद्रासन भलो रे, नंद्यावर्त प्रधांनो रे, पूरणकलस सम जग सहि रे, श्रीवछ नै वधमानो रे, सुभ भाव.... २९ आठमो मंगल साथीयो रे, जिनवर आगल कीजै रे, इम पूजा करि तेरमी रे, नरभव लाहो लीजे रे, सुभ भाव.... ३० कृष्णागर ऊखेविये रे, धूप कडूछओ आंणी रे, गुरू सेल्हारम धूपणा रे, चवदमी पूज सूंहाणी रे, सुभ भाव.... ३१ ढाल-सातमी श्रीजिनवर गुण गाइयई, सुंदर सकल सरूप, सातस्वर निरला सजी(?) पनरमी पूज अनूप, श्री.... ३२ हिवै नाचे देवांगना, सजि सोलह सिणगार, घम घम वाजै घूघरा, पाये नेउर झणकार, श्री.... ३३ चंद्रमुखी इणपरि करै, नाटक बद्ध बत्रीस, थेइ थेइ सबद सुहामणो, गावे राग छत्रीस, श्री.... ३४ सोलमी पूजा ए कही, हिवै वाजे वाजित्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7