Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02 Author(s): Yudhishthir Mimansak Publisher: Yudhishthir Mimansak View full book textPage 5
________________ [४] अपनी शारीरिक अस्वस्थता के कारण अगला संस्करण मेरे जीवन में सम्भवतः प्रकाशित नहीं होगा। इसलिये इसे ही मैं अन्तिम संस्करण समझता हं। परमपिता परमात्मा की अनुपम कृपा से यह कार्य कथंचित् पूरा हो गया, इस का मुझे सन्तोष है। श्रावण पूर्णिमा, सं० २०४१] विदुषां वशंवद:११ अगस्त, सन् १९८४ ) युधिष्ठिर मीमांसक . विशेष भूल संशोधन-द्वितीय भाग में गणपाठ प्रकरण में पृष्ठ १४८; उणादि-सूत्र प्रकरण में पृष्ठ २०७, लिङ्गानुशासन प्रकरण में पृष्ठ २७४ में 'शन्तन' के स्थान में 'शान्तनव' नाम होना चाहिये। यह बात आगे चलकर फिट-सूत्रों के प्रवक्ता और व्याख्याता नामक २७वें अध्याय में निश्चित हुई। शेष संशोधन परिवर्तन परिवर्धन तृतीय भाग के १०वें परिशिष्ट में देखें।Page Navigation
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