Book Title: Sammaisuttam
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
158
सम्पइसुत्त
गाहाणुक्कमणिया
एवं सत्तचियप्पी वयणपहो 1-41 एवं सेसिंदियदंसणम्मि 2-24
अणुदुअणुएहिं दव्ये 3-39 अण्णायं पासंतो 2-13 अण्णोणाणुगयाणं 1-47 अत्यंतरभूएहि य 1-36 अस्थि अविणासधम्मी 15 अस्थि ति णिबियप्पं 1-38 अद्दिष्ट अण्णायं च 2-12 अह देसो सम्भावे 1-37 अह पुण पुब्बपउत्तो 2-39
कम्म जोगणिमित्तं 1-19 कायमणवयणकिरियारूवाइगई 3-12 काल साव पिचाई 33 कुंभो ण जीवदवियं जीवो वि 3-31 केइ भणंति जइया जाणइ 2-4 केवलणाणमणतं जहेव 2-14 केवलणाणं साई 2-94 केवलणाणावरणक्खयजायं 2-5 कोवं उप्पायंतो पुरिसो 9-7
(आ)
आइट्ठो असभाचे 1-39
इहरासमूहसिद्धो 1-27
गइपरिणयं गई चेव केइ 3-29 गुणणिव्वत्तियसण्णा एवं 3-30 गुणसहपतरेणावि तं 3-14
उप्पज्जात वियंति य 1-1 उप्पज्जमाणकालं उप्पणं 3-37 उप्पाओ दुवियप्पो 3-32
चक्खुअचक्खुअवहिकेवलाण 2-20 चरण-करणप्पहाणा ससमय 5-67
ए ए पुण संगहओ 1-13 एगंत णिव्विसेस 8-2 एगतपक्खवाओ जो 3-16 एगंताअसन्भूयं 3-59 एगदवियम्मि जे 1-31 एगसमयम्मि एगदवियस्स 3-41 एवं एगे आया 1-49 एवं जिणपण्णते 2-32 एवं जीवद्दवं अणाइणिहण 2-4]
लं अप्पुट्ठा भावा ओहिणाणस्स 2-29 जं अप्पुट्टे भावे 2-30 जं काबिलं दरिमणं एवं 3-48 जं च पुण अरहया तेसु 3-1] जति अत्यि समये 3-19 जं परचक्खग्गहणं ण एंति 2-28 जं सामणणं गहाणं दंसण 2.] जइ ओग्गहमेत्तं दसणं 2-23

Page Navigation
1 ... 127 128 129 130 131