Book Title: Samdarshi Acharya Haribhadra
Author(s): Jinvijay, Sukhlal Sanghavi, Shantilal M Jain
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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[१०६ दर्शन १. अनेकान्तजयपताका
८. न्यायप्रवेशटीका (स्वोपज्ञ टीका युक्त)
+६. न्यायावतारवृत्ति २ अनेकान्तवादप्रवेश
१०. लोकतत्त्वनिर्णय +३. अनेकान्तसिद्धि
११. शास्त्रवार्तासमुच्चय +४. प्रात्मसिद्धि
(स्वोपज्ञ टीका युक्त) ५ तत्त्वार्थसूत्र लघुवृत्ति
१२. षड्दर्शनसमुच्चय ६. द्विजवदनचपेटा
१३. सर्वज्ञसिद्धि (स्वोपज्ञ टीका युक्त) ७. धर्मसंग्रहणी (प्राकृत) +१४. स्वाद्वादकुचोद्यपरिहार
योग १. योगदृष्टिसमुच्चय (स्वोपज्ञ टीका युक्त) २. योगविन्दु ३. योगविशिका (प्राकृत) (बीस विशिका के अन्तर्गत) ४. योगशतक (प्राकृत) ५. पोडशकप्रकरण
कथा १. धूर्ताख्यान (प्राकृत) २. समराइच्चकहा (प्राकृत)
ज्योतिष १. लग्नशुद्धि-लग्नकुंडलिया (प्राकृत)
स्तुति १. वीरस्तव २. संसारदावानल स्तुति (संस्कृत-प्राकृत भाषाद्वयात्मक)
आ. हरिभद्र के नाम पर चढ़े हुए ग्रन्थ इनके अतिरिक्त अधोलिखित ग्रन्थ प्राचार्य हरिभद्र के नाम चढे हुए है, परन्तु इसके निर्णय के लिए अधिक प्रमारणो की अपेक्षा रहती है :१ अनेकान्तप्रघट्ट १०. नारगायत्तक १६ यतिदिनकृत्य २. अर्हच्चूडामणि ११. नानाचित्तप्रकरण २०. यशोधरचरित्र ३. कथाकोष
१२. न्यायविनिश्चय २१. वीरागदकथा ४ कर्मस्तववृत्ति १३. परलोकसिद्धि २२. वेदवाह्यतानिराकरण ५ चैत्यवन्दनभाष्य १४ पंचनियंठी २३. संग्रहरिणवृत्ति ६. ज्ञानपंचकविवरण १५. पंचलिंगी
२४. संपंचासित्तरी ७. दर्शनसप्ततिका १६ प्रतिष्ठाकल्प २५. संस्कृत आत्मानुशासन ८. धर्मलाभसिद्धि १७. बृहन्मिथ्यात्वमथन २६. व्यवहारकल्प ६. धर्मसार
१८. बोटिकप्रतिषेध