Book Title: Samdarshi Acharya Haribhadra
Author(s): Jinvijay, Sukhlal Sanghavi, Shantilal M Jain
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 136
________________ शुद्धिपत्रक पृष्ठ पक्ति २ १६ C 0 १२ १२ २४ ३१ २३ शुद्ध हरिभद्र के (ईसा-पूर्व दूसरी शती) ने मज्झिमिया उपदेशपद की प्रशस्ति परिशिष्ट १ रममारण मानाह सस्कृत या तद्भव सुनीतिकुमार चटर्जी विविध शक्तियो की अधिष्ठायक २० २६ प्रशुद्ध हरिभद्र ने (ईसा-पूर्व दूसरी शतीने) मज्ज्ञिमिया उपदेश की प्रशस्ति परिशिष्ट २ रमाण मानाई संस्कृत, तद्भव सुनीतकुमार चटर्जी विविध शक्ति की अधिष्ठापक p. 24 से दुट्टिच मे दुस्युय अहितिया निग्गज्ञा परिजात्तई धैरसुमुसा " च्छार्योजतो धनाड्य तक-पुरस्सर शिववर्त्य १५ ___ २५ p. 26 १४ २४ २१ __२८ ३४ से दुद्दिट्ट च भे दुस्सुय अहिंसिया निग्गथा परिजाणइ थेरसुनुसा • च्छायार्जित धनाढच तर्कपुरस्सर शिववर्म ३१ २५ ३२ ११

Loading...

Page Navigation
1 ... 134 135 136 137 138 139 140 141