Book Title: Sambodhi 2010 Vol 33
Author(s): J B Shah, K M patel
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 196
________________ *190 રસીલા કડીઆ SAMBODHI ७३. भागो नास्तिः । तदागेपि उदकसंमधो नास्तिः । आचंद्राऽ७४. र्क कुल्ल अभिरांमन दावे की— छि । हवि ए घरनुं । तथा । ७५. घरनी भूमिनु को वहिरशी आवि तेहनि बाई काहान बा७६. ई तथा बाई काहानबाईना पुत्र पौत्रादिक परिवार म७७. ध्ये ये को हाजरि हुअि ते प्रीछवि वारि । ए घरनां षा(खा)ल प्र७८. नाल नेव नीछारिकं वाडु हीडवानु मार्गः सर्व पूर्वरीति ७९. समंधः सही । गुहा जण २ बि शाह हंसराज बिन वाघजी बिन श्री८०. वंत । तथा साह वीरजी बिन कूअरजी बिन शंघ । ए गुहा जण २ बि ह ८१. जूरि बाई काहानबाईअि साह शिवगणनि वकील करीनि ८२. ए घर वेचातू [आपू] छि । अस्य लख्यित विधे परिपालनायः ॥१ अत्र मतू १ अत्र साष्यि (ख्य) १. बई काहानबई बन जसराइ १ हाशराजी वांघाजी सख ने मत अपर लखतो सही उपा लखा परमण लखवीबई बुलबई ल ३पीया ३५१ अमा हज री अपथ १ वकलो सवगण श्रीवंता मता अपर १ स. वीरजी कूअरजी सारव उपरा लखतो सही रुपअ ३५१ अंक तण लखा परमणा रू ३५१ अम ह सह अकवन पर रकडा . जर आप्यु लखत १ अइ घर १ भगवतीदास पंनजी.... अदबद अनरमोतद १ करवी उपर लखा परमाण सही । वयतो अप छ. १ अदेसेनी रतंन सख उपर लखा परमाण ॥ सा पनीअमीती वीर दल स ख ऊपर लख परणाम १ मी. -डनजीय लीख १ -लसंमदमूमान लखा परमा साख दोवोलीसुंन सुरदास सांरव व मत् छे ते साख पी. मूमनजी अपर लखत हाथी

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