Book Title: Sambodhi 1989 Vol 16
Author(s): Ramesh S Betai, Yajneshwar S Shastri
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 302
________________ K m . 0 . GN . २० . देह गलंतहं सवु गलइ देहमहेली एह बढ देहि उम्भउ जरमरणु देहहो पिक्खिवि जरमरणु देहादेवलि जो वसई देहादेवलि सिउ वसइ धंधइ पडियउ सयलु जगु पत्तिय तोडहि तडतडह पत्तिय तोडि म जोइया पत्तिय पाणिउ दव्म तिल पंच बलद्द ण रक्खिय पंडियपंडिय पंडिया पंचहिं बाहिरु णेहडउ पाउ वि अप्पहिं परिणवइ पुण्णु वि पाउ वि कालु णदु पुण्णेण होइ विहओ पोत्था पढणिं मोक्खु कह बद्धउ तिहुवणु परिभमइ बहुयई पढियई मूट पर बुज्झहु बुज्झहु जिणु भगइ बे छंडेविणु पंथडा बे पंथेहि ण गम्मइ बे मंजेविणु एक्कु किउ बोहिविवज्जिउ जीव तुहूं भल्लाण वि णासंति गुण भवि भवि दंसणु मलरहिट भिण्णउ जेहिं ण जाणियउ मणु जाणइ उवएसडउ मणु मिलियउ परमेसरहो महुयर सुरतरुमंजरिहिं मंतु ण तंतु ण घेउ ण धारणु मा मुट्टा पसु गरुवडा मिल्लहु मिल्लहु मोक्कलउ मुखनासिकयोमध्ये मुंडिय मुंडिय मुंडिया मुंह मुंडाइवि सिक्ख भरि ew .... मूटा जावइ देव मृढा देह म गंजयड मृढा सयन वि काग्निउ निकाल मृदा सयन्टु वि कारिनउ में मुल छडि जो डाल चटि मोक्ग्यु ण पावहि जीव नुहं मोहु विलिजइ मणु मन्द्र गयवयल्लाह छहमाह लोहि मोहिउ तान नहुँ वक्खागडा करंतु बुद्ध वट जु छोडिवि मलियन वडिया अणुटग्गवहं वणि देवलि नित्थई भमहि यणविहगर पागमत वरु वितु विलहरु वा जला वंदहु वंदह जिणु भगड वादविवादा जे कहि वामिय किय अर दाहिणिय १८१ विसयकसाय चणवे वह विसयकसायहं रजियउ विसयसुहा दुइ दिवहडा विसया चिंति म जीव नुहुँ विसया सेवइ जो वि पर विसया सेवहि जीव नुहुँ छंडॉव २०५ विसया सेवहि जीव नहुं दुक्खहं १२० सई मिलिया सई विहडिया सप्पि मुक्की कंचुलिय सयलीकरणु ण जाणियउ १८४ सयल वि को वि तडफडइ सव्य-विषयहं तुट्टाहं सबहिं गयहिं ठहरसहि ससि पोसइ रवि पज्जलद सहज-अवत्थहिं करहुलर संख समुदहिं मुक्किम संतु ण दीसइ तत्तु मावि सिद्धतपुराणहं वेय पद १२६ N १७४ १२८ ८८ m २२१ १३५

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