Book Title: Sadguru ke Prati Samarpan Author(s): Hirachandra Acharya Publisher: Z_Jinvani_Guru_Garima_evam_Shraman_Jivan_Visheshank_003844.pdf View full book textPage 5
________________ || 10 जनवरी 2011 || जिनवाणी मिटाकर उसे घड़ना बहुत कठिन है, पर गुरु ऐसा कारीगर है जो चेतन को घड़कर तैयार करता है। यही कारण है कि गुरु ने छोटे-छोटे बच्चों तक को घड़ दिया और वीतराग पथ पर लगा दिया। सात-आठ वर्ष के बच्चे को शास्त्र-वाणी का अभ्यास करवाकर उसे मन-वचन-काया से साधना-मार्ग में जोड़ दिया । आज छोटे-छोटे बच्चों को आप कपड़े पहनाते हैं, मौजे और अण्डरवियर पहनाते हैं। बच्चे को कपड़े पहनाना सरल है, किन्तु उसे संयम-मार्ग पर बढ़ाना सरल नहीं है। आचार्य भगवन्त पूज्य श्री शोभाचन्द्र जी महाराज ने आचार्य भगवन्त पूज्य श्री हस्तीमल जी महाराज को बचपन से घड़ना चालू किया। उसका मधुर फल हमने देखा है । बाड़मेर वासियों को उन्हीं आचार्य श्री हस्ती जन्म की शताब्दी के प्रसंग से संतों की सेवा का सुअवसर मिल रहा है। बाल ब्रह्मचारी आचार्य भगवन्त ने हजारों लोगों को व्रत-नियम के प्रत्याख्यान करवाकर, शीलव्रत के खंद करवाकर न जाने कितने-कितने लोगों को घड़ा एवं साधना-मार्ग में आगे बढ़ाया। उनकी महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। __ पूज्य गुरुदेव एक बार नागौर चातुर्मास पश्चात् विहार करके धनारी पधारे । धनारी में जैन समाज के कुछ घर हैं। अधिकतर लोग चौधरी समाज के हैं। चौधरी जिन्हें आप जाट कहते हैं वे भी पूज्य गुरुदेव के व्याख्यान में आते । व्याख्यान में सेठ सुदर्शन की कथा चल रही थी। कथा सुनकर दो जने खड़े हुए और ब्रह्मचर्य का नियम ले लिया। गुरुदेव ने कहा- जब तक रोज दोशीलव्रत के खंद होते रहेंगे, यहाँ रुकना संभव होगा। दो-तीन दिन इसी तरह प्रत्याख्यान होते रहे । मुझे याद है- व्याख्यान में एक चौधरी खड़ा हुआ और बोला- “बाबजी! म्हाने लोग जाट कैवे । कहावत भी है- आगल बुद्धि बाणिया, पाछल बुद्धि जाट।" वह भाई बोला- “महाराज! हूँ तो मैं जाट, पर हमारे बेटे के बेटा होता है तो हमारी खाट पोल के बाहर आ जाती है। बेटे के बेटा यानी पोता हो जाने के बाद घर में सोना तो दूर, अन्दर जाना भी हम ठीक नहीं समझते।" अभी हम झोंटड़ा गाँव होकर आये हैं। वहाँ अर्जुनसिंह जी राठौड़ हैं। उन्होंने भी बताया- “महाराज! हमारे बेटे के बेटा हो जाता है तो फिर कोटड़ी से खाट बाहर आ जाती है, ठकुराइन के पास नहीं जाते। आप हमको नहीं समझायें, समझाना ही है तो आप इन महाजनों को समझायें।" आज आपकी क्या स्थिति है? आपका जातिगत कोई नियम नहीं, इसी लिये घर में बेटी भी सुआवड़ पर है और बहू भी । माँ और बेटी सासू और बहु दोनों सुआवड़ पर हो तो..........? क्या आपका रिटायरमेंट का समय है? सरकारी नौकरी में कोई पचपन, कोई अठावन और कोई साठ साल में रिटायर हो जाता है आप महाजनों का रिटायरमेंट का कोई समय है? ___आप जरा चिंतन तो कीजिये । सोचिये कि क्या यह जीवन केवल भोग के लिए ही है या योग के लिए भी है? क्या यह जीवन केवल वासना के लिए ही है या उपासना के लिए भी है? आज हम दो, हमारे दो की बात क्या ब्रह्मचर्य-पालन करके की जाती है ब्रह्मचर्य ओज-तेज बढ़ाने वाला है, चमत्कार करने वाला है। ब्रह्मचर्य के प्रताप से आग भी पानी बन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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