Book Title: Rushimandal Vrutti Purvarddha
Author(s): Shubhvarddhansuri, Harishankar Kalidas Shastri
Publisher: Jain Vidyashala Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ श्री आदिनाथचरित्र. (७) राजाए ते केवलज्ञानीने पूग्यु के, "हे विन्नो ! म्हारो पिता मृत्यु पामीने का गतिमां नत्पन्न भयो ?" केवलीए कडं. “हे राजन् ! ते घोर एवा पापना नदयथी सातमी नरकने विषे दुःखनुं पात्र थयो .” केवलीनां आवां वचन सां.. नली प्राप्त भयो ने वैराग्य जेने एवो ते हरिचंड राजा संयम ग्रहण करी अने सर्व कर्मनो कय करी मोक्ष पाम्यो. (स्वयंबुह मंत्री महाबल राजाने कहे डे के) हे महाराजाधिराज ! ते वंशने विषे घणा राजान निवृत्ति पाम्या पठी आप राजा थया गे अने हुं पण सुबुद्धि मंत्रीना वंशने विषेज नत्पन्न थयो बुमाटे आपना वंशने विषे अमारो अधिकार परंपराथी चाल्यो आवे . हे प्रश्नो! श्रा सर्व में अवसर विना कडं , तो पण तेनुं कारण सांनलो.आजे हुं नंदन वनमां तीर्थयात्रा करवा गयो हतो. त्यां में विजयामितघोष नामना बे चारण मुनिने दीग. में तेमने नक्तियी प्रणाम करीने आप-आयुष्य पूज्यु तोतेमणे कडं के, “नूपतिनुं आयुष्य हवे एक मास बाकी ." हे प्रत्नो ! आवां तेमनां वचन सांजली नयत्रांत अयेलो हुँ अहिं आपनी पासे आव्यो बु.तो हवे आप ए म्हारा वचनने सत्य मानी सुखे अरिहंत प्रनुना धर्मर्नु आचरण करो.” नय पामेला महाबल राजाए कह्यु. “अरे प्रधान ! जो म्हारं हवे एकज मासनुं आयुष्य ने तो पी हुं परलोक संबंधी हित शुं करूं ? ” मंत्रीए कां. "हे विन्नो ! खेद न करो. कारण के, सावद्य योग रोकनार माणसने एक दिवस पण घणो ? तो पी आपनुं आयुष्य तो एक मास, जे."आप्रमाणे मंत्रीए का एटले महाबल राजाए अध्य महोत्सव करी हर्षथी दीक्षा लीधी. परी बावीश दिवस सुधी अनशन व्रत पाली ते राजा मृत्यु पामीने बीजा देवलाकने विषे ललितांग नामे देवता थयो. हे नव्यो! पली तेनो जेवी रीते नत्तम जीवनी साथे संबंध अयो. ते हुँ तमने कहुं बु, माटे ते ध्यान दश्ने सजिलो. जंबूहीपना धातकी खंमने विषे मंगलावती विजयमां नंदी नामे गाम ने. त्यां को एक नागिल नामे कुटुंबी वसतो हतो. तेनी स्त्रीये मृगश्री विगेरे ( पुत्रीननी लुपर एक सातमी अत्यंत अप्रिय एवी पुत्रीने जन्म आप्यो. माता पिताए अप्रिय होवाने लीधे ए पुत्री- नाम पण न पामथु, तेथी लोकमां ते "निर्नामिका एवा नामश्रीजप्रसिइथ.माता विगेरेने अप्रिय एवीय पण ते पुत्री कष्ट

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 487