Book Title: Pt Kesar Krut Stavan Author(s): Rasila Kadia Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ June-2003 99 कृष्ण बलभद्र गीत श्री गुरुभ्यो नमः दुहा द्वारिका हूंती नीकल्या, एक दिवस दोय भाय त्रिषा उपनी कृष्णने, बलभद्र पांणी पाय ॥१॥ राग सोरठा जई लावे बलभद्र नीर, तुमे थाओ साहसधीर पोढी वृक्ष शीतल छाया, करमाणी कोमल काया ॥२॥ ओहेडी जराकुमार सिंहां, खेले वनह मझारि कृष्ण पाओ पदम ज दीठो, जाणे कर सावज बेठो ॥३॥ लेइ धनुष ने करीय प्रमाण, षां(खां)चीने मुक्यो बाण कृष्ण पाओ पदम ज लागो, करडीने कांनड जाग्यो ॥४॥ जइ जोवे जराकुमार, तुने करसें बंधव सिंहार. माहरा हाथनो बाण ज लेजे, पांडवनें संदेशो कहेजे. तिहाथी चाल्यो जराकुमार, करतो अति दुक्ख अपार ॥५॥ हुं कलष(ख)पण थयो बाल, श्रीकृष्णनो पोहतो काल यादवकुला हूता अनेक, तेमांथी तूंहि ज एक ? ॥६॥ दुहा बलभद्र जल लेइ आवीओ, बंधव सूतो देखि, किम जगावू नींद्रमों, इम चिंतवे विशेषि ॥७|| ढाल इम चितवी बलभद्र बेठो, मुज बंधव हजीय न ऊठ्यो मुझने थई घणी वार, नवि जागे कांनकुमार ||८|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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