Book Title: Pt Kesar Krut Stavan
Author(s): Rasila Kadia
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 3
________________ 98 अनुसंधान-२४ तस भ्राता ईम विनवे, तवन रचो मन उलास ल० आदि जिणेसर नरखता, मोजी सफल फली आस भ०से० ॥१३।। पा० इति तवन संपूर्ण । कृष्ण-बलभद्र गीत प्रस्तुत गीतनी नकल ला.द.भा.विद्या मंदिर, अमदावादना त्रूटक पुस्तक परथी करी छे. ते सारी स्थितिमां छे. प्रस्तुत कृतिना कर्ताओ पोतानु नाम के रचना संवतनो उल्लेख को नथी. भाषा अने लेखन परथी कृति १९मा शतकनी कही शकाय. 'अनुसन्धान-२३"मां आ पहेलां 'बलभद्रनी सज्झाय प्रगट थई हती ते ज कथावस्तुने अति विस्तृतपणे तथा बलभद्रमुनिना वैराग्य- कारण विगते जणावी रचना करी छे. दुहा तथा चाल (चोपाई) बद्ध आ रचना खरे ज, वांचवी गमे तेवी छे. अघरा शब्दोनी यादी हूंती - मांथी त्रिषा - तृषा, तरस आहेडी - शिकारी करडीने - कणसीने सिंहार - संहार वनह - वनमां कुलखंपण '- कुलमां कलंक घाय - घा सूरे - शूराओ खंधोले - खभा उपर वहिलो - वहेलो शेवा - सेवा शिल्हा - शिला / पथ्थर वेलू - रेती विणसण - विनाश बावना चंदन - चंदननी उत्तम जात दुयारी - द्वारे कूया - कूवा वर्रासे - बदले सूत्रकार - सुथार असराल - घणो योडी - जोडी पदम - एक प्रकारचें चिह्न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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