Book Title: Pt Kesar Krut Stavan
Author(s): Rasila Kadia
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 7
________________ 102 अनुसंधान-२४ (नोंध : आ 'कृष्ण बलभद्र गीत'ने आ अंकमां प्रकाशित 'सालिग विरचित श्रीबलभद्रऋषि सज्झायनी साथे सरखावी जोवा जेतुं छे. बन्ने एक ज रचनानां नोखां नोखां रूपो जणाय छे. 'सालिग'नामक कविनी रचनानुं मूळ रूप केवं छे, अने वखतनो घसारो लागीने तेन ते मूळ रूप केवं तो विकृत बनी बेसे छे, अरे, कर्ता- नाम सुध्धां लुप्त थई जाय छे, ते खास जोवा-जाणवा जेवू छे. बन्नेनी वाचनामां पण खासो तफावत नजरे पडे छे. आ बधु विद्वानो तथा वाचकोना ख्यालमां आवे ते हेतुथी ज बन्ने कृतिओ अत्रे मूकवामां आवी छे. शी.) चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन प्रस्तुत स्तवननी नकल ला.द. भा.सं. विद्यामंदिर, अमदावादना त्रूटक पुस्तक परथी करी छे. अमदावादना (कोठारीपोळ) झवेरीवाड विस्तारमा आजे वाघणपोळ तरीके ओळखाता स्थानमां श्रीचिन्तामणी पार्श्वनाथ भगवाननुं प्राचीन सुंदर जिनालय आवेलुं छे. आ जिनालयनी प्रतिष्ठानी विगत आ कृतिमां मळे छे. श्रीचिन्तामणी पार्श्वनाथनुं एक अन्य स्तवन 'अनुसन्धान-२३'मां प्रकट थयुं छे तेमां आ कृति उमेरणरूप छे. कृतिना रचयिताओ पोतानुं नाम आप्युं नथी, पण पोतानी गुरु परंपरानो निर्देश कर्यो छे. वाचक रामविजयना शिष्य प्रतापविजयना शिष्य विवेकविजय रचनाकारना गुरु छे. तेथी विवेकविजयशिष्य तरीके रचयिताने ओळखी शकाय. कृतिनी भाषामां संस्कृत शब्दो विशेष छे. श्रीचिन्तामणी पार्श्वनाथना जिनालयनी प्रतिष्ठा संवत १८४५मां महावद चोथ अने रविवारना रोज थई हती. जोके, सागरगच्छना शान्तिसागरना पंन्यास प्रमोदमुनिना शिष्य मुनिचन्द्रे आ ज जिनालयनी साल सं. १८४५ महावद चोथ अने गुरुवारनी जणावी छे.१ प्रतिष्ठा करावनार छे जाणीता नगरशेठ श्रीशान्तिदास झवेरीना कुटुंबीजन शेठ खुशालचंदना पुत्र शेठ श्रीनथुशाह. श्रीनथुशाहना भाई श्रीजेठमल्ल शाहे आ प्रतिष्ठा महोत्सवमां खूब ज उद्यम करेल तथा श्री नथुशाहना पुत्र दीपचंद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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