Book Title: Pravachanasara Author(s): A N Upadhye Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram View full book textPage 6
________________ तृतीयावृत्ति: ] श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला Jain Education International श्रीपरमात्मने नमः श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यविरचितः । तत्त्वदीपिका तात्पर्य वृत्ति - हिन्दी बालबोधिनी भाषा - चेतिटीकात्रयोपेत : 'कोल्हापुर' नगरान्तर्गत 'राजाराम कॉलेज' नाम्नि महाविद्यालये निवृत्त अर्धमागधी भाषाध्यापकेन श्रीवीरनिर्वाण संवत् २४९१ प्रवचनसारः (पवयणसार) उपाध्यायोपानेमिनाथतनय आदिनाथेन श्रीमत्कुन्दकुन्दचार्यतत्प्रणीतग्रन्थविस्तृत विमर्शकारिण्या प्रस्तावनया टिप्पणीकाङ्ग्लानुवादेन विषयसूच्या पाठान्तरादिभिश्चालंकृत : संशोधितश्च । ㄤ स च अगासस्थ श्रीपरमश्रुतप्रभावक श्रीमद् राजचन्द्र - जैनशास्त्रमाला श्रीमद्- राजचन्द्र - आश्रम - अगास - स्वत्वाधिकारिभि: श्रीमद् रावजीभाई देसाई, इत्येतै: प्राकाश्यं नीतः । मूल्य रू. १५. For Private & Personal Use Only [ प्रतय: १००० श्रीविक्रम संवत् २०२१ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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