Book Title: Pravachan Sara Tika athwa Part 02 Gneytattvadipika
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 412
________________ द्वितीय खंड। इसलिये इस ग्रन्थके पाठकोको उचित है कि तत्त्वज्ञान प्राप्तकर श्रद्धासहित चारित्र पालते हुए निज आत्माका अनुभव करें इसीसे ही वर्तमानमें भी सुख शाति मिलेगी और भविष्य जीवन भी सुखदाई होगा। इस प्रकार श्री कुंदकुदाचार्य कृत प्राकृत ग्रन्थकी श्री जयसेनाचार्य कृत सस्कृत टीकाके अनुसार इस प्रवचनसार महा प्रथके दूसरे अध्यायकी भापाटीका ज्ञेयतत्वमदीपिका नाम पूर्ण हुई । मिती कार्तिक वदी ८ वि० स० १९८० गुरुवार ता० १-११-१९२३ ।

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