Book Title: Pravachan Sara Tika athwa Part 02 Gneytattvadipika
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 419
________________ AMANIMa mmunmunamater manurumaunimamming * अहिंसा धर्म प्रकाश। *: (नवीन श्रावकाचार) __ यह अन्य पंडित फुलजारीलालजी शास्त्रीने बड़े परिश्रमके साथ श्री रत्नकरण्ड, श्री पुरुषार्थसिद्धयुपाय आदि कई श्रावकाचारोंके अभिप्रायको लेकर २८५ है सुगम पद्योमें रचा है। दस अध्याय हैं। इसका नाम " सदगुण पुग्पोद्यान श्रावकाचार " है-यथा नाम तथा गुण है। भाषा सरल है, मूल श्लोकोंके प्रमाण भी दिये हैं जो बहुत ही लाभदायक हैं। पंडितजोने यह पुस्तक जैन अजैन सर्वसाधारणमें अहिंसा धर्मके आधार पर श्रावकाचारके सिद्धान्तको सुगम रीतिसे आचरण करानेके लिये तथा स्कूल व पाठशालाओंके वालवोध तृतीय व चतुर्थको है योग्यतावाले छात्रों के हितार्थ तैयार की है। मैं आशा है करता हूं कि दिगम्बर जैन परीक्षालयके अध्यक्ष भी इसको पठनक्रम में शामिल करेंगे तथा अध्यापकगण और विद्यार्थी भी इस पुस्तकको अवश्य मंगाकर लाभ उठावेंगे। पूर्वार्द्ध उत्तराई एक साथ कीमत m) पूर्वार्द्ध व उत्तरार्द्ध अलग २ भी मिल सक्त हैं । मूल्य प्रत्येकका 1). - निवेदक रूपचन्द गार्गीय अग्रवाल जैन, धर्मपरोक्षा, जैन हाईस्कूल, पानीपत (पञ्चाव) । पुस्तक मिलनेके पतेः११ दिगम्बर जैन पुस्तकालय, चन्दावाडी-सूरत। १. २. होरालाल पन्नालाल जैन बुकसेलरज एण्ड स्टेशन' दरोवाकलां-देहली। Sammmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm ६ WMMWWW

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