Book Title: Pravachan Pariksha Part 02
Author(s): Dharmsagar
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Shwetambar Samstha

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Page 343
________________ भीप्रवचनपरीक्षा १३४१॥ साधि विपाट श जाOROLOGHOROUGHOROजान | स्थानांगसूत्रं १४-२०-८७-९४-१०१ साक्षिग्रन्थपाठादि विचारामृतसारसंग्रहः | १०३-२०५-१३५-१३८-१४४-१५८ रूसउ कुमरनरिंदो० विशेषावश्यक १५९-१७७-१७८-१७९-१९६-२०८ माया ३-२०४ वीतरागस्तोत्रं २१३-२२४.२३५-२४०-२४२-२४९ पंचोवचारजुत्ता पूा. व्यवहारभाष्यं २४४-२७७ २५०-२६१-२६२-२६८-२६९-२७१ अर भगगंधमल्लपईव० २७२-२८१-२९६ | सुअदेवया भगवई० शर्बुजयमाहात्म्यं ८१-८३-१८९ स्थानांगवृत्तिः १४-४२-१३६-१७८ आमूलालोलधूली. श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रं १९६-२४८-२६६ १७९-१९६.१९७-१९७-२१३-२४० उपमेह वा० २४९ २५०-२६८-२६९-२७१-२७२ चखुदयाणं. समवायांग २१६-२१७ २७३-२७४-२८१-२९६ उपण्णंमि अणंते. सारावलीप्रकीर्णकम् चत्वारि णाणाई ठप्पाई ठव. | सूत्रकृदंगसूत्रं तित्थयरो१जिणरचउदस३ १०-३१ | संदेहदोलावली २०६-२०७ अहो जिणेहिं असावज्जा. ११-८५ संबोधप्रकरणं | नमो अरिहंताणं. ०००ccm UOHONGIGOROROSHOG ६९। |॥३४॥ :

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