Book Title: Pravachan Pariksha Part 02
Author(s): Dharmsagar
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Shwetambar Samstha
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श्रीप्रवचनपरीक्षा ॥ ३३९॥
DIGHONGKONGHONGKON
HONGHOROS
साक्षिग्रन्थनामानि
अ
अनुयोगद्वाराणि ४२-१३२-१३४-१४२
१४३-१४५-२४९
अनेकार्थनाममाला अष्टकः (हरि०)
आ
२१०
८८
" नियुक्तिः " वृत्तिः
, भाष्यम् ७१-८८-२१३-१८० ,, निर्युक्तिः ७३-१२३-१२६-२०७
१५-३१-३४-३८-३९-६०-८९-१०५ उपासकदशांग ६६-१५४-२१६-२१७ ११०-१२३-१३५-१४५-१७५-१८० ओ - ओघनिर्युक्तिः ११८-१२८-३०२ | औ - औपपातिकसूत्रं २५३ क - कल्पसूत्रं
९७
ग-गच्छाचारः
आशातनाकाव्यावचूरिः ई-ईर्यापथिकीषट्त्रिंशिका
आचारांगसूत्रं ६७-६५-७४-७६-८२ ८३-११३-१३४-१७९-२८४ उत्तराध्ययनं ७३-१६२-१८०-१८१ जिनशतकम्
१८२ - १८७ जीतकल्पः
८१-१७९-२९६ ७५-८३-१५२-१७९ १८०-२८४-२८५-२८९
आवश्यकचूर्णिः १४३ - १४५-१४७- १४९ १५०-१५४-१५९-२४९-२९३ ३०२ | उपदेशमाला
८६-१२-१७६-१७७-२२७-२३७ २४४-१०४-२६९-२७९-२८२
उ
२७९-२८५-२८७ २०-६२-६६-७१-८३
ज
२०६
१४८
२२० २८०-२८३
७८
२१५
,, निर्युक्तिः ११९- १२४-१३४
२४५-२६७-२७४-२७५
१३५-२१३-२२७-२४३२६८ जीवाजीवामिगमसूत्रं ४४-१४६-१६७
१७४-१७५-१७७-२०१ ,, वृत्ति: १७९-१७२-१७५-७१
NGHONGHOLIGORONGHONG DIGIGIO
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