Book Title: Pravachan Pariksha Part 01
Author(s): Dharmsagar,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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श्रीप्रवचनपरीक्षा ॥१०॥
साक्षिविशेपनामानि
५५-५६-५७-६१-६१ | तत्वार्थवृत्तिकारः ३७७
दुष्प्रसभसूरिः ४५-४२४-४४३ ६३-६५-६६-६९-८५ | तिलकमंजरी १२८
देवभद्राचार्यः २३८-३९--४०-४४ ९३-९४-९५-९६-९८९९ | तिलकाचार्यः १२१-२९-४०-५२
४६-४७-४८-४९-५० ३०१-२-४-५-६-७-८ ५७५८-५९-६१-६३
५३-५४-५५-५७ १२-१४-२५-२६-२७
६४.६५-६६-६८-६९- देवमूरिः १०४-१२०-३३८ ३०-३२-३४-३८-७८-८४
७०-७१-७३ देवानंदा ८४-३३३ जिनशेखरः२३३-४८.५७-५८३०६-तिहुअणपाल:२७२
देवेन्द्रसूरिः ४२० ७-८ त्रिशला ३३३
द्रोणाचार्यः २८५ जिनसुंदरसूरिः २०३, ३१९ जिनहंसमरिः २७१ दत्तः ११
धन्यर्षिः २२८ जेसलमेरुः २८६, २८८, ३१३,३२१ | दमयंती १२८, १६२
धारानगरी २८३ जंबूस्वामी ६४-४४२ दुबलिकापुप्पमित्रः १०५
धंधकः २३६ ढ-ददरः ४२०
दुर्लभराजः २६९-७१-७२-७३-८३ | धनेश्वरसूरिः १७८ २८५
| धर्मदासः ३००
IASPIREMPHIBRARAMILANDMATIHARNImallBRISTIARRIANRAININNARAININilliAIIANE
HIRANIORITE HINDMedia
॥१०॥
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