Book Title: Pratima Shatak
Author(s): Ajitshekharsuri
Publisher: Arham Aradhak Trust

View full book text
Previous | Next

Page 534
________________ 502 परिशिष्ट -३साक्षिपाठानामकारादिक्रमः ४८२ १०८ १९४ १३३ ४३३ ३९६ १६५ २६ ५२ २५१ ९४ १३७ ४३७ परिशिष्ट - ३ साक्षिपाठानामकारादिक्रमः अ अर्थे सत्यर्थः [काव्यप्रकाश ९/११/७] अइसयचरणसमत्था [विशेषाव. ७८६] ४१ अर्पितानर्पितसिद्धेः [तत्त्वार्थ ५/३१] अकसिणपवत्तगाणं २२१, २८१ अल्पबाधया बहू. [पञ्चलिङ्गी] | [महानिशीथ ३/३८, आव० भा० १९४] ४४७,४५५,४६० अविणीयमाणवंतो [विंशि० प्रक० ७/५] अक्षयनीव्या हि [षोडशक ६/१५ उत्त०] १९१ अविसिटुं विय [विशेषाव. १९४३] अज्झत्थे चेव [आचाराङ्ग १/५/२/१५०] २७५ असतीए लिंगकरणं [व्यव० सू. १/९५७] अट्ठारससहस्स० [अड्डाइज्जेसु सूत्र] ३६३ असदारंभपवत्ता [पञ्चाशक ४/४३] अट्ठावयमुजिते [आचा. निर्यु. ३३२] ३३४ असद्धर्मसम्भावन॰ [काव्यानुशासन ६/४] अणगारस्स णं भंते ! [भगवती १६/३/५७१] १७७ असुहक्खएण [सम्बोधप्रक० २०७] अणगारे णं भंते ! [भगवती ३/५/१६१] अस्मिन् हृदयस्थे षोडशक २/१४] अणुकंपा णिव्वेओ [योगविंशिका ८] २७८ अह केरिसए [प्रश्नव्या० ८/२६] । अणुमित्तो वि न० अहन्नं भंते ! सूरियाभे [राजप्रश्नीय सू० ५२-५३] [यतिलक्षणसमु० ६२ पू०, पुष्पमालाप्रक० २४५ पू.] ३८० अहागडाई भुंजंति [सूत्रकृताङ्ग २/५/८] अण्णत्थारंभवओ [पञ्चाशक ४/१२] ४५६ अहावरे तच्चस्स [सूत्रकृताङ्ग २/२/३४] अता लीलैशी॰ [अष्टसहस्री कारिका ९९ विवरणे] ४८४ अहावरे दोच्चस्स [सूत्रकृताङ्ग २/२/३३] अस्थि णं भंते ! [प्रज्ञापना २२/२८०] १७९ अहावरे पढमस्स [सूत्रकृताङ्ग २/२/३५-४०] अत्र चतुर्थाध्ययने [महानिशीथ अ. ४] अहं च भोगरायस्स [दशवै० चू. २/८ पा० १] अदुत्तरं च णं [सूत्रकृताङ्ग २/२/३०] अंबडस्स णं [औपपातिक सू० ४०] अदुवा वायाउ [आचाराङ्ग १/८/१/१९९-२००] १३२ आ अनुपयोगश्च [अनुयोगद्वार] आगमेनानुमानेन [योगदृष्टिसमु० १०१] अन्तर्वेद्यां तु [योगदृष्टिसमु. ११६] १५८ आधीनां परमौषध० [षोडशक १५/३] अन्धे तमसि आयरियउवज्झाए अन्यस्त्वाहास्य [अष्टक २८/१] २१७ आया चेव अहिंसा अपडिक्कंताए [महानिशीथ अ० ३, सू. २६/११] २११ [आव० नि० ७५५ पू०, विशेषाव० ३५३६ पू०] अपरिग्गहीयदेवीणं १०१ आलोअणा वियडणे [ओघनियुक्ति ७९१ पा. १] अप्रदाने हि [अष्टक २८/२] २१८ आसन्नसिद्धिआणं अप्रस्तुतप्रशंसा [काव्यप्रकाश १०/१५१] २२७ [सम्बोधप्रक० १९२, दर्शनशुद्धिप्रक० २७/९१] अभवन् वस्तु॰ [काव्यप्रकाश १०/९७] आहारउवहिसेज्जा [व्यव० सू० १/९५९] अयं जनो नाथ [अन्ययोग. द्वात्रिं. २] अरिहंतसिद्ध० [मरणसमाधिप्रकीर्णक १९] ३३५ इत्थमाशयभेदेन [अष्टक २७/६] अरिहंताई णियमा [आव० नि० १००७] इत्थं चैतदिहै॰ [अष्टक २८/८] अरिहंतुवएसेणं [आव० नि० १००९] इमाओ त्ति सुत्तउत्ता [बृहत्कल्पभा० ५६१९] ४३७ २२४ ४३९ ३२० ३०४ ४३५ ४८४ ३७९ २५२ १७९ ४३ ३९६ ३१७ ७४ ४७९ १३६ २२० २१४

Loading...

Page Navigation
1 ... 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548