Book Title: Pratima Shatak
Author(s): Ajitshekharsuri
Publisher: Arham Aradhak Trust
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परिशिष्ट-३साक्षिपाठानामकारादिक्रमः
505
११३
१०६
ण य तस्स इमो [विंशि. प्रक० २०/१०]
४८९ ण हु तस्स तण्णिमित्ता
२७५ ण हु सासणभत्ती० [सम्मति० ३/६३] २९१ णिच्छयओ सम्मत्तं [सम्बोधप्रक० ९३९ पू.] णिच्छयसम्मत्तं [विंशि प्रक० ६/१७] २५७ णिरविक्खस्स [पञ्चाशक ४/७ उत्त०] २७३ णो कप्पइ अण्णउत्थिय.
४१२ णो कप्पइ ...गणियाओ [स्थानाङ्ग ५/२/४१२] २१३ णो कप्पइ ...पंच [बृहत्कल्पभा० ४/३२-३३] २१४ व्हाणाइवि [पञ्चाशक ४/१०]
२८३
तवसंजमजोगेसु व्यवहारभा० १/९४९] २५१ तवसंजमेण [महानिशीथ अ० ३, गा० ५७] २२२ तस्मात्तदुपकाराय [अष्टक २८/४]
२१८ तस्मिन्नेवं जातिगोत्र. [न्यायकुसुमाञ्जलि] ४७९ तह तह वक्खाणेयव्वं पञ्चवस्तुक ९९१] तहारूवं समणं [भगवती]
२८५ ता जइ एवं [महानिशीथ अ० ३, गा० ४५] २२१ तित्थयरगुणा [आव. नि. ११३०]
४०१ तित्थयराणं [आचा० निर्यु. ३३०]
३३४ तित्थयरा जिण [बृहत्कल्पभा० १/१११४] ३३५ तिनिवि पएसरासी [विंशि० प्रक० २०/१२] ४९० तिर्यक्पङ्गु [जैमिनीयसूत्र
२०२ तिविहे ववसाए [स्थानाङ्ग ३/३/१८५] ८९ तुल्लं च सव्वहेयं [विंशि० प्रक० २०/१३] ४९० तुहवयणतत्तरुई
१०७ तेणं कालेणं ...कालीदेवी [ज्ञाताधर्म० श्रु० २, सू. १४८, १५५-१५८] १०० तेणं कालेणं... सक्के [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ५/१५] १०१ तेणं कालेणं ...सूरियाभे [राजप्रश्नीय सू. १३२-१३९] ७४ ते फासे धीरो [आचाराङ्ग १/८/२/२०४] १३१ तं मा णं तुमं [ज्ञाताधर्म. १/१६/१२३] ३२८
३२५
थ
१७
तइया तइया० [विंशि० प्रक० ८/७]
१११ तए णमित्यादि [राजप्रश्नीय सू. ५६ टी.] १२९ तए णं केसी कुमार. [राजप्रश्नीय सू. १९४-२००] ८२ तए णं ते पंच [ज्ञाताधर्म. १/१६/१२२] तए णं सा दोवई [ज्ञाताधर्म. १/९६/११९] ३२३ तए णं सिद्धत्थे [कल्पसूत्र १०३]
३३३ तए णं सुबुद्धिस्स [ज्ञाताधर्म० १/१२/९२] २६० तए णं से आणंदे [उपासकदशाङ्ग १/१/७] ३०० तए णं से चमरे [भगवती ३/२/१४४-१४५-१४६] ५९ तए णं से सक्के [भगवती १६/२/५६७-५६८] १२० तए णं से सूरियाभे [राजप्रश्नीय सू० ५२-५६] १२४ तते णं सा भद्दा [ज्ञाताधर्म० १/४/३६] ३३० तत्थ खलु भगवया [आचाराङ्ग १/१/१/१०-११] २९३ तत्थ णिओगो [गुरूतत्त्वविनिश्चय १४] तत्थ णं देवच्छंदए [जीवाभिगम ३/२/१३९] ३४० तत्थ णं जे से [जीवाभिगम ३/२/१८३] तत्थ न कप्पइ [व्यव० सू. १/९४३]
३१२ तत्थ पहाणो [पञ्चाशक ७/३८]
२१९ तत्था वि से न याणइ [दशवै०५/२/४७ उत्त०] १०६ तत्र कर्मणि [आचाराङ्ग १/१/१/१०-११ टी.] तत्रासन्नोऽपि जनो० [षोडशक ६/६]
१९१ तमेतं वेदानु०
२६६ तमेव सच्चं णीसंकं [आचाराङ्ग १/५/५/१६२] ४४६ तम्हा णिच्चसइए [विंशि० प्रक० ९/८ पा. १] २८२ तवणियमविणय. [व्यव० सू० १/९४८] ३१४
३१५
थयथुइमंगलेणं [उत्तरा. २९/१६] थिरकरणा पुण व्यव० सू० १/९५१] थूभसयं भाउ॰ [आव. भा० ४५ पू.] थंडिल्ले विहु [विंशि० प्रक० ८/१४]
४१०
१०९
दव्वथओ भावथओ [आव० भा० १९२] २७९,४५८ दव्वसुअंजं पत्तय० [अनुयोगद्वार ३९]
२३ दव्वाणं सव्वभावा [उत्तरा. २८/२४] ४५२ दसविहे सराग. [स्थानाङ्ग १०/३/७५१] दहतिग अहिगम० [चैत्यवन्दनभा॰ २, पा.१] १९५ दाणाइआ उ [विंशि. प्रक०६/२०]
४६७ दिट्ठो अतीए [पञ्चाशक ७/४०] दीक्षा मोक्षार्थ. [अष्टक ४/२]
१५७ दीधिति चिन्तामणिं तत्त्वचिन्तामणि दीधिति]
२२०

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