Book Title: Pratima Shatak
Author(s): Ajitshekharsuri
Publisher: Arham Aradhak Trust
View full book text
________________
508
५०
परिशिष्ट - ३ साक्षिपाठानामकारादिक्रमः) | से नूणं भंते ! [भगवती १/३/३०-३१] ४५२
से भयवं! कयराए [महानिशीथ अ० ३, सू० ६-७] ३१ से भयवं ! किं तित्थ. [महानिशीथ अ० ५, सू० १८] १२ से भयवं! जइ णं [महानिशीथ अ० ५, सू० १३-१७] २४२ से भयवं!... सावज्जायरिए [महानिशीथ अ० ५, सू० २९-३९] २२९ से भंते ! किं [भगवती ३/४/१६०]
५५ से वसुमं सव्व० [आचाराङ्ग १/५/३/१५५] १४ से वंता कोहं [आचाराङ्ग १/३/४/१२१] ४७६ सोऊण तं भगवतो [उत्तरा० निर्यु. २९१] सो उभयक्खय. [धर्मसङ्ग्रहणि २६] ४७२ संजमठाणठियाणं [गुरुतत्त्वविनिश्चय] ३६३ संजमतवजोगेसु [व्यव० सू. १/९४९] ३१४ संतगुणुकित्तणा [आव. भा. १९१ पा० ४] संता तित्थयरगुणा [आव० नि० ११३२] ४०२ संतिमे तओ [सूत्रकृताङ्ग १/१/२/२६] १८६ संवच्छरचाउ० [उपदेशमाला २४१]
३३९ संवरनिर्जरारूपो॰ [स्त्रीनिर्वाणप्रक० २६] संविगे गीयत्थे [व्यव० सू० १/९५६] संविग्गो मद्दविओ [व्यव० सू० १/९५०] ३१४ संसारिषु हि देवेषु [योगदृष्टिसमु० १११] १९९ सिंहासने निविष्टं [षोडशक १५/२] ४८४ सुंदरबुद्धीए कयं [उपदेशमाला ४१४ उत्त०] स्नानमुद्वर्तना.
१६१ स्वपरव्यवसायि [प्रमाणनयतत्त्वा० १/२]
सत्ते सत्तपरिवज्जिया [प्रश्नव्या० १/३] २६१ समणस्स णं [आचाराङ्ग श्रु० २, चू० ३, सू. १७८] ३३३ समणेण य सावयेण [अनुयोगद्वार सू० २९, गा० ३]
३२४,४४० समं योग्यतया काव्यप्रकाश]
१९५ सम्भावनमथो॰ [काव्यप्रकाश १०/१३७] २६ सम्यग्दर्शनसम्पन्नः
३२४ सर्वजगद्धित० [षोडशक १५/१]
४८४ सर्वत्र सम्यग्विधि० [श्राद्धविधि गा० ६ टी.] ३९६ सव्वत्थामेणं [बृहत्कल्पभाष्य]
२७२ सव्वद्धासंपिंडण. [विंशि० प्रक० २०/११] ४९० सव्वे पाणा सव्वे
१२७ सव्वे सरा [आचाराङ्ग १/५/६/१७०] ४८८ सव्वो पमत्तजोगो
१६६ सव्वं पि कोडि [विंशि० प्रक० २०/१४] ४९० ससिरविगह [बृहत्सङ्ग्रहणी ५७ पा. १] १०३ सामर्थ्य वर्णनायां [बृहत्कल्पभा० २ टी.] १३५ सामाइए ववसाए [स्थानाङ्ग ३/३/१८५] सामानिकैर्हस्यमानो [त्रिषष्टि. १०/४/३१६] १०५ सारो चरणस्स [विशेषाव. ११२६ पा० ४] २२३ सिजंभवं गणहरं [दशवै निर्युः १४] सिद्धस्स सुहरासि [आव. नि. ९८२] ४८९ सिद्धाणं णमो [उत्तरा० २०/१] सिन्धुसौवीरेषु [प्रश्नव्या० ४/१६ टी.] ३०६ सुत्तत्थतदुभएहिं [व्यव० सू. १/९४४] सुत्तत्थतदुभयविउ [व्यव. सू. १/९४६] सुत्तत्थेसु थिरत्तं [व्यव० सू. १/९४७] ३१४ सुरगणसुहं [आव. नि. ९८१] |
४८९ सुवन्नगुलिआए [प्रश्नव्या० ४/१६] सुव्वइ दुग्गइ नारी [पञ्चाशक ४/४९ पा. १] २७१ सुव्वइ य वयर० [पश्चाशक ६/४५] १४१ सुस्सूस धम्मराओ [पञ्चाशक १/४] २५५ से अप्पबले [आचाराङ्ग १/२/२/७५-७६]
१९६
२६९
३१६
४२३
३१३ ३१३
हत्थसयादागन्तुम् हनुमदाद्यैर्यशसा [नैषधीयचरित्र ९/१२३] हिट्ठट्ठाणठिओ [गुरूतत्त्वविनिश्चय १/११४] होइ पओसो [सम्बोधप्रक० २०८]
२९७

Page Navigation
1 ... 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548