Book Title: Pratima Poojan
Author(s): Bhadrankarvijay
Publisher: Vimal Prakashan Trust Ahmedabad

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Page 264
________________ २५१ ज्ञातासूत्रे दौपदी पूजा, करती शिवसुख मागे रे, राय सिद्धारथे प्रतिमा पूजी, कल्पसूत्र मांहे. रागे रे, - शांति०६ विद्याचारण मुनिवरे वंदी, प्रतिमा पांचमे अंगे रे, जंघाचारण मुनिवरे वंदी, जिनप्रतिमा मन रंगे रे, शांति०७ आर्यसुहस्ति सूरि उपदेशे, चावो संप्रतिराय रे, सवा क्रोडि जिनबिंब भराव्यां, धन्य धन्य एहनी माय रे, शांति०८ मोकलो प्रतिमा अभयकुमारे, देखी प्रार्द्र कुमार रे, जातिस्मरणे समकित पामी, वरीप्रो शिवसुख सार रे, शांति०६ इत्यादिक बहु पाठ कह्या छ, सूत्र मांहे सुखकारी रे, सूत्र तणो एक वर्ण उत्थापे, ते कह्यो बहुल संसारी रे, शांति० १० ते माटे जिनपारणा धारी, कुमति कदाग्रह वारी रे, भक्ति तणां फल उत्तराध्ययने, बोधि बीज सुखकारी रे, शांति ११ एके भवे दोय पदवी पाम्या, सोलमा श्री जिनराय रे, मुज मन मंदिरीए पधराव्या, धवल मंगल गवराय रे, शांति० १२ जिन उत्तम पद रूप अनुपम, कीर्ति कमलानी शाला रे, जीवविजय कहे प्रभुजीनी भक्ति, करता मंगल माला रे, शांति० १३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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