Book Title: Pratikraman Avashyak Swarup aur Chintan
Author(s): Rameshmuni
Publisher: Z_Jinavani_002748.pdf

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Page 12
________________ 15, 17 नवम्बर 2006 (ख) तत्त्वार्थ वृत्ति श्रुतसागर, ८-२ २०. (क) सूत्रकृतांग सूत्र ६.२६ (ख) स्थानांग सूत्र ४.१.२५१ (ग) प्रज्ञापना सूत्र २३.१.२९० २१. उत्तराध्ययन सूत्र ३२.७ २२. (क) स्थानांग सूत्र २.३ (ख) प्रज्ञापना सूत्र २३ (ग) प्रवचनसार गाथा ९५ २३. (क) उत्तराध्ययन सूत्र ३२.७ (ख) स्थानांग सूत्र २.२ (ग) प्रवचन सार १.८४.८८ (घ) समयसार गाथा ९४, ९६, १०९, १७७ २४. आवश्यकनिर्युक्ति, गाथा १२५० २५. (क) स्थानांग सूत्र ४१८ (ख) समवायांग सूत्र समवाय ५ (ग) तत्त्वार्थ सूत्र ८.१ २६. आवश्यक निर्युक्ति आचार्य भद्रबाहु गाथा, १२६८ २७. (क) नियमसार, १०२ (ख) तत्त्वसार १७ (ग) ज्ञानसार वृत्ति, १३ - ३, पृष्ठ ४३ २८. प्रशमरति प्रकरण १४३ २९. तत्त्वार्थ सूत्र वृत्ति श्रुतसागर सूरि ३२७ - ३०. (क) आवश्यक निर्युक्ति वृत्ति आचार्य मलयगिरि, १२१ (ख) निशीथ भाष्य आचार्य मलयगिरि, भाग-४, गाथा ५९३३ (ग) बृहत्कल्प भाष्य, गाथा ६३-६४ (घ) भगवती आराधना गाथा, ४२७ (ङ) कल्पसूत्र कल्पलता गाथा १, पृष्ठ २ ३१. (क) उत्तराध्ययन सूत्र ३०.९ (ख) तत्त्वार्थ सूत्र ९. २० - (ग) मूलाचार, गाथा ३६० (घ) भगवती सूत्र २५.७ ३२. धर्मसंग्रह, अधिकार ३ Jain Education International जिनवाणी For Private & Personal Use Only 45 www.jainelibrary.org

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