Book Title: Prastavik Duha Sangrah
Author(s): Manivijay
Publisher: Devchand Dalichand
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जेने यह पवन न संचर, गये से न कोय । ते चीज मोकलावजो महारे एकादशी वृत होय ॥७०८॥ मगफळीनीशींग पांचाळुने चीपटj, रण वगहामा थाय । मुसलमान मारे ने, हिंदु तेने खाय ।। ७०९ ॥ तल जळमा पेसी घर करे, माझा घरमा नाय । मोडुवाडे मरे नहि, तेने खाली खेंचे जीव जाय ॥ ७१० ॥डांगर उभो नर निद्रा करे, तडको माकळ खाय । जेनी मुंछे मोती नीपजे, रणमा झोला खाय ।। ७११ ।। घर स्थळमां बेसी घर करे, जळमां बेसी न्हाय । मस्तक वाडे मरे नहि, एनी आंख फोडे जीव जाय ॥ ७१२ ॥ शेलडी सो आंबा सो आंवली, वसो बीजा सार । फळ बचाळे पांदडं, राजा भोज करो विचार ॥७१३|| कुबो ए नामनी वनस्पति खड वाढीने काल कीधु, तेने नामे नाम । कुंडलानी कोरे मारे, शोधी काढो गाम ।। ७१४ ।। खडकायु जानमा जइये ते, ने सूरजमा सोहीये ते । ते वे मलीने एक नाम, कहो पंड्याजी कयु गाम ॥ ७१५ ॥ वरतेज जनावर झुंडाळुजी, वाडमां तो मुख्यजी । मलीने एक नाम, कहो पंड्याजी कयु गाम ।। ७१६ ॥ मोरवी घंटीमा सोहीयेजी, गाडामां जोइयेजी । बे मलीने एक नाम, कहो पंड्याजी कयु गाम ।। ७१७ ।। पडधरी तेजी घोडो रणमा रह्यो, दील्लीनो पादशाह फकीर थयो। जमरख दोवो प्रांखो थयो, ए पश्ननो उत्तरदीयो।। दिवेल विना गढ पायेथी पदी गयो, मणियारो हतो ते फकीर थयो। आखे रोटछे भुख्यो रह्यो, ए प्रश्ननो उत्तर दीयो । दांत विना भूत कोसे खोटको थयो, चालता रेंटीयो उभो रह्यो । राजानी कुंवरीये कजीयो कीयो, ए प्रश्ननो उत्तर दीयो ॥ढींगली बिना एक नारी एवी नीकळी, राय रंक घरे जाय । जेना पर करुणा करे, ते मृत्यु तोले थाय ।। ७२१ ।। भुख गढ पडयो ने वाह मुको, छते खाटले भांय मुतो। त्रण मलीने एक थयो, ते एकल खरानो उत्तर दीयो ।।७२२॥ पडयो
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