Book Title: Prastavik Duha Sangrah
Author(s): Manivijay
Publisher: Devchand Dalichand

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Page 54
________________ Scanned by CamScanner प्रस्ताविक कहु छु ने कही संभळावं, तेमां नयी फारफेर / एक चीज एवी माँधी के, लाख रुपीये शेर // 723 ॥बळ एक नारी एसी दीठी, सोळ शणगार सजीने बेठी। सोळमां हतो जे सार, ते तो मेल्यो संबर बहार // . चार घडी पीयु पासे रही, वळती गइ त्यारे खेती गइ // 724 // लाज खाटखटुके खाटेकडा, खाटे बेठा छे दो जणा / भांगे सोपारी चावे पान, बे जण बच्चे चावीच कान // रावण मंदोदरी तोरी घोडो त्रण मुखे, सात नेत्र पग बार / चोवीश जेने पेंगडा, जेने सत्तावीश अस्वार ।।७२६॥शीयालो उनालो चौमास संग्रह // 26 // puIISUS o समाप्त Licend // 26 //

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