Book Title: Prastar Ratnavali Author(s): Ratnachandra Swami Publisher: Agarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay View full book textPage 5
________________ W उपोद्घात. नRA गणितानुयोग जैन आगमनो एक उपयोगी भाग छे. ते द्रव्यानुयोगनी माफक गहन अने विचारणीय छे, एटलुंज नही पण ते सौ करतां वधारे चोकस रूप छे. कोइ पण देशना कोइ पण माणसने पुछशो के बे ने बे केटला? तो तेनो एकज जवाब मलशे के चार. कोइ पण गहन सिद्धांत सूक्ष्मपणाने लीधे मगजमां उतरतो न होय पण ते गणितशैलीथी समजावनार होय तो तरत समजी शकाय. जैन आगमोमां जीवाभिगम जंबुद्वीपपन्नत्ति सूर्यपन्नत्ति पन्नषणा भगवती वगेरे सूत्रोमां जुदे जुदे प्रकारे गणितानुयोगर्नु प्रतिपादन करेल छे. पण ते बधामां वधारे गहन भगवतीसूचना नषमा शतकना ३२ मा उद्देशामां दर्शावेल गांगेय अणगारना भांगा छे. गांगेय अणगार २३ मा तीर्थकर पार्श्वनाथ भगवानना शिष्यानुशिष्य हता. महावीर स्वामीनी तीर्थंकर अवस्थामां ते विद्यमान हता. एक वखते महावीर स्वामीनो तेमने समागम थतां महावीर स्वामी सर्वज्ञ छे के केम तेनी परीक्षा करवाने गांगेय अणगारे जीवना उत्पत्तिस्थान अने ते स्थानना संयो. गथी थता विकल्प-भांगा संबंधी प्रश्नो कर्या. महावीर स्वामीए ते प्रश्नोनो सविस्तर खुलासो आप्यी. जेली सघळी हकीकत भगवतीसूत्रना नवमा शतकना ३२ मा उद्देशामां उपलब्ध छे. आ खुलासाथी गांगेय अणगारने महावीरस्वामिनी सर्वज्ञता विषे खात्री. थइ छे अने तेमणे महावीर प्रभु पासे चार महाव्रतरूप धर्ममाथी पांच महाव्रतरूप धर्मनो स्वीकार कर्यो छे. आPage Navigation
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