Book Title: Prastar Ratnavali
Author(s): Ratnachandra Swami
Publisher: Agarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay

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Page 3
________________ . सूचना. १ जो महाशय पुस्तक मंगावे वे अपना ठिकाना पत्ता हिन्दी और अंग्रेजी दोनों अक्षरोंमें गाँवके नाम, पोस्टऑफिस और जीला साफ अक्षरों [ हो ] में लिखे । जिनका साफ अक्षरोंमें पत्र नहीं होगा और पूरा पत्ता नहीं होगा उसको पुस्तक नहीं भेज सकेंगे। २ अपने गांव में जो संतमुनिराज या महासतियांजी जिस समुदायका हो उस समुदायका नाम और संतमुनिराज पा महासतियांजीका नाम लिखनेकी कृपा करे। ३ जिस गांवमें जैनज्ञानभंडार, जैनपुस्तकालय [लायब्ररी] जैमपाठशाला हो तो उसका नाम तथा ठिकाना कृपा करके लिखें। ४ यदि किसी सज्जन के पास ज्ञानबोधक शुद्ध सूत्रसिद्धान्त, बोल थोकडा, छंद, चउपाई, स्तषन, सज्झाय आदि हो तो कृपाकर ज्ञानवृद्धिके लिये हमको भेजनेकी कृपा करे, कार्य होनेबाद उसको मूलप्रत वापीस भेज दी जायगी। ५ सेठिया जैन विद्यालयमें बालकों को अंग्रेजी, हिन्दी, महा जनी [वाणीका], धार्मिक, संस्कृत और प्राकृत आदि विषयोंका अभ्यास अवैतनिक रूपसे करवाया जाता है। संस्कृतविद्यार्थियोंको न्याय, व्याकरण और साहित्य का आचार्य या तीर्थतक पढाया ज्ञाता है। और निराधार जैनपालकों को विद्याभ्यासके लिये सब तरहके बंदोबस्त है।

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