Book Title: Prakrit Tatha Anya Bharatiya Bhashaye
Author(s): Premsuman Jain
Publisher: Z_Jain_Vidya_evam_Prakrit_014026_HR.pdf

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Page 15
________________ २९८ प्राकृत खलहान खड्ड खल्ल गंठी गड गोबर चाउला बेट्टिय बड्डा पोट्टली हिन्दी खलिहान खडडा खाल गांठ गड्डा गोबर चांवल जैन विद्या एवं प्राकृत : अन्तरशास्त्रीय अध्ययन प्राकृत हिन्दी डोरो डोर तग्गं तागा डाली डाली थिग्गल थेगला नाई नाई बप्प बाप बइल्ल बैल भल्ल सलोण सलौना साडी साड़ी बेटी बड़ा पोटली कुट्ट भिडइ खुद्द डंस हिन्दी भाषा में प्राकृत शब्द ही नहीं ग्रहण किये गये हैं, अपितु बहुत सी हिन्दी की क्रियाएँ भी प्राकृत की हैं । तुलनात्मक दृष्टि से कुछ क्रियाएँ द्रष्टव्य हैं । प्राकृत हिन्दी प्राकृत हिन्दी उड्ड उड़ना झिल्लिअ झेलना कड्ढ काढ़ना देक्ख देखना कूदना बुज्झ बुझना कूटना पिट्ट पीटना खेल्ल खेलना भिड़ना खोदना बोल्ल बोलना चुक्क चूकना डसना चुण्ण चुगना संभलिय संभलना चमक्क चमकना बइठ छड्ड छोड़ना पिंजिय छूटना भेट्टिआ भेटना छोल्लिअ छोलना निक्काल निकलना जाग जागना लुक्कइ लुकना जोडिया जोड़ना पल्लट्ट पलटना झुल्लवि झूलना हल्लइ हलना शब्द और धातुओं के अतिरिक्त प्राकृत को अन्य प्रवृत्तियां भी हिन्दी में परिलक्षित होती हैं । द्विवचन का प्रयोग नहीं होता, संयुक्त व्यंजनों में सरलीकरण है। बैठना पीजना छ परिसंवाद-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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