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प्राकृत तथा अन्य भारतीय भाषाएँ
प्राकृत
अत्रक
कडप्प
कुरर
कोह
पिल्लम
प्राकृत
कडप्प
कुरुलु
चबेड
डोम्बि
पुल्लि
राष्ट्रभाषा हिन्दी और प्राकृत
प्राकृत
अक्खाड
अरहट्ठ
उक्खल
उल्लुट
कक्कडी
कहारो
कोइला
कुहाड
खट्टीक
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आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में हिन्दी का प्रमुख स्थान है । देश के अधिकांश लोगों द्वारा यह बोली जाती है । राष्ट्रभाषा होने का गौरव इसे प्राप्त है । देश के विभिन्न भागों और भाषाओं की सम्पर्क भाषा होने के कारण हिन्दी में विभिन्न भाषाओं के शब्द भी सम्मिलित हो गये हैं । संस्कृत के शब्द भी इसमें ग्रहीत किये गये हैं, किन्तु हिन्दी में प्राकृत अपभ्रंश जैसी लोक भाषाओं के शब्द भी कम नहीं हैं । यदि इन शब्दों की जानकारी हो तो हिन्दी के हरेक शब्द की व्युत्पत्ति के लिए संस्कृत पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा । हेमचन्द्र की देशीनाममाला तथा प्राकृत अपभ्रंश के अन्य ग्रन्थों के वे कुछ शब्द यहाँ उद्धृत हैं जो हिन्दी में सीधे ग्रहण कर लिये गये तथा उनके अर्थ में भी कोई परिवर्तन नहीं आया है ।
हिन्दी
अखाड़ा
रहट
ओखली
उलटा
ककड़ी
तमिल
अक्का
कलप्पइ
कोरि
कोट्टइ
पिल्लइ
तेलगु
कलपे
कुहाड़ा
खटीक
कुरुलु
चप्पट
डो निलि
कहार
कोयला
प्राकृत
चिड़िय
चारो
चुल्लि
चोक्ख
छइल्लो
छल्लि
झमाल
झाडं
झंझडिया
अर्थ
माँ
समूह
भेड़
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किला
पशु का छोटा बच्चा
अर्थ
समूह
घुंघराले बाल
ताली बजाना
भगिन
बाघ
हिन्दी चिड़िया
चारा
चूल्हा
चोखा
छैला
२९७
छाल
झमेला
झाड़
झंझट
परिसंवाद -४
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