Book Title: Prakrit Margopdeshika Author(s): Bechardas Doshi Publisher: Yashovijay Jain Granthmala View full book textPage 4
________________ PEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE निवेदन । प्राकृत भाषाना वधता जता अभ्यासवें आ साक्षात प्रमाण छे के-आ मार्गोपदेशिकानी अमारे बीजी आवृत्ति बहार पाडवानी ज़र पडीछे. आशा छे के-आवीन रीते आ मधुर अने मूळ . भाषांना अभ्यासनो विकास उत्तरोत्तर वधारे ने वधारे थतो रहेशे. दिलगीर छीए के कागळोना हदपार वघेला भावोना समयमांज. अमारे आ आवृत्ति छपाववी पडेली होवाथी आ वखते. किंमतमा न छूटके थोड़ो वधारो करवो पज्यो छे. यशोविजय जैनग्रंथमाला ऑफिस ) - हेरीसरोड--भावनगर.. . . . . प्रकाशक, . ता. १२-७-१९. )Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 195