Book Title: Prakrit Margopdeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 9
________________ ॥ अहम् ॥ श्रीविजयधर्मसूरिगुरुभ्यो नमः । प्राकृतमार्गोपदेशिका। :. सिद्धत्थं सिद्धत्यांगयं गमिअमोहकोहसन्दोहं। भासासमूहविबुहं विबुहबुहनयं जिणं वीरं ॥१॥ संवण्णुं कलिकाले आयरिअं हेमचन्दभगवन्तं । सत्थविसारदजइणायरिअं गुरुं धम्मसूरिन्दं ॥२॥ कुणन्ति विग्धनासं जिणमुहसुहमंडवनडीसमाणं । सुअदेव अ सुद्धं अमञ्चमहणिजपयजुगलं ॥३॥ सँड्ढाजुत्तं धम्मे पिअरं जीवरायमुत्तमं मा। वन्धवं हरिसचन्दं मह विन्नाणदाणनिआणं ॥४॥ सायरं वन्दिऊणं वुच्छं पाययमग्गोवदेसि। वालाणं वोहत्थं गुरुमुकिवाए मन्दपवरो ॥५॥ (कुलयं) - १ वीतराग श्रीवारभगवानने नमस्कार. २ कलिकालसर्वज्ञ प्रभुश्रीहेमचन्द्राचार्यने तथा पूज्यपादगुरुश्रीशास्त्रविशारद जैनाचार्य श्रीविजयधर्मसूरिने वंदना. ३ श्रीश्रुतदेवताने प्रणमन. ४ पूज्य श्रीपिता तथा माताने तथा परमपूज्य उपकारी ज्येष्ठवंधु हर्षचन्द्रभाईने प्रणाम.. ५ लेखक पोतानी लघुतापूर्वक अधिकारी, प्रयोजन तथा अभिधेयनुं सूचन करेछे.

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