Book Title: Prakrit Jain Katha Sahitya
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 204
________________ १९५ सानुमुनि १७४ सामञफलसुत्त ११ (टि.), सामदत्ता १३, १४, १४ (टि.) ११, (टि.), १६९, १०, सामवती १६१ (टि.) सार्थवाह ३४ (टि.) १६१ (टि.) साहित्यदर्पण १० (टि.), सिंध ४३ सिंह २१ सिंहकुमार २१ सिंहबल १७४ सिंहलदेश २५, ३४ सिंहलद्वीप ४८ सिंहलराज २६ सिंहासनद्वात्रिंशिका ८९ (टि.) सिकन्दर १६१ (टि.) सिद्धकच्छप १५७ सिद्धकुमार २५ सिद्धसेन ७४ (टि.), २६ (टि.) सिद्धार्थक १५७, १६०, सिरिवालकहा ४५, १०६, ११०, ११३ सिल्ल ४५ (टि.) सिविजातक ९७ (टि.) सीरियायी ७६ (टि.) सीहचम्मजातक ८१ (टि.) सुकुमालिका १७, सुखबोधाटीका (उत्तराध्ययन पर) १६९ सुग्रीव १४४ सुत्तन्त ८, सुत्तपिटक ८. सुदसणाचरिय ११ (टि.), सुदारक १२६ सुन्दरी ४६ सुन्दरीदेवी १६ (टि.), सुपार्श्वनाथचरित १०८ सुभदा १०८ सुमतिनाथचरित १०८ सुमित्रा १०५ सुयशा १३९ सुरसुन्दरीचरिय ११३ सुरेन्द्रदत्त ३५ सुलसा १७०, ९७५ सुलोचना २६. १११, सुवर्णद्वीप ४२, ४५ (टि.) १६१ (टि.) सुवर्णमूमि ३४, १५९ १६१ (टि.) .. सुब्रतकथा १०७ सुहस्ति १०८ सुहिरण्य १२७ सुहिरण्यका १२९ (टि.) सुहिरण्या १२०, १२६, १२८ सूत्रकृतांग १०४ १७४ (टि.) सेक्रेड बुक्स आफ द ईस्ट सीरीज १८० . सेतु २६ सेतुबंध १० (टि.), सेन्ट मेथ्यू की सुवार्ता १०४ (टि.) सेन्ट ल्यूक की सुवार्ता १०४ (टि) सोनक जातक ९६ (टि.) सोमदेव ५७(टि.) ५९ टि, ७७, ११८ (टि.) सोमदेवभट्ट ११७, १२०, सोमप्रभसूरि ३०८, १७६. सोममंत्री ७६ सोमशर्म ८७ सोमशर्मा ८६ (टि), ८७ सौराष्ट्र ३४, १२२, स्कंदिल १४३, १४४, १४५, १४७, १४८, स्टडिज इन आनर आफ मौरिस ब्लूम फील्ड-येल यूनिवर्सिटी ९२ (टि.) स्टडिज इन् द फोक्टेम्स आफ इण्डिया ८४ (टि), १०० (टि.) । स्टेण्डर्ड डिक्सनरी ऑफ फोकलोर ८३ (दि.) स्त्रीपर्व ९८ (टि.) स्थानांगसूत्र ११ (टि) स्थूलभद्र १०८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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