Book Title: Prakrit Jain Katha Sahitya
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 202
________________ १९३ विष्णुकुमारमुनि १७३ विष्णुगीतिका १११, १४६, १४७, १५१ बादिदेवसूरि ५९ (टि.) वाराणसी १२३ १७० वाल्मीकि १०८ वाल्मीकि रामायण १७६, १०८ वासवदत्ता १४७ (टि.) वासुपूज्य १४३ विंटरनित्स २६७,१८० विजयचंदकेवलीचरिय १०८ विजयसेन २५ विजयानगरी २३ विजयानन्द २६ विज्जुदाढ १२१ विदर्भ ७, १७९ विदुर ९६ (टि.) विदुरहितवाक्य ९६ (टि.) विदेह ७२ (टि.) ९५ टि.) विद्याधर वासव १०५ विनयचन्द्र ५५ विनयपिटक ११ (टि.) विनयवस्तु ८१ (टि.) १०४ (टि.) विनोदकथा संग्रह ६८ (टि.) विनोदात्मककथासंग्रह ६३ (दि.) (टि.), ८६ (टि.) १६७ विपाकसूत्र ५४, १०४ विपुलाशय २५ विमलरि १०८, १०९ (टि.) विमलांक ११० विराह १५१ विवेकमंजरी प्रकरण १०७ विशल्यकरणी १३८, १४२ विशेषावश्यकभाष्य २८ विश्वावसु १५१ विश्विल १२३ १२४ विष्णु ५९ (टि.) १४६, १६१ (टि.) विष्णुकुमार. १४६, १७२, १७३ विष्णुकुमारचरित १११ विष्णुभगवान् १५१, १७३ विष्णुपदी १६०. विष्णुशर्मा ७५, ७६, वीणादत्तक १४८, १४९, १५० . वीरमती १७० चिराज (सेनापति) १०० (दि.) वृत्रासुर १५१ वेगवती नदी ८६ (टी.) वेगवती लंभक ११९ वेगवतीलाभ ११९ वेतालपंचविंशतिका ५९ (टि.) ७८ ८९ (टि.) वेत्रपथ ३५ वेनिस ५० टि.) वैताव्यपर्वत ३५ व्रणरोहणी १४२ व्यवहारभाष्य ७७, ८० (टि.), ८३ (टि,) ८६ (टि.), १०५ व्यालक १४३ शंकुपद ३५ शंख १०६ शंखपुर १.० शंब १७ (टि.), १२४, १२६, १२७, शकुन्तिका २८ शय्यंभव १०८ शरीर ११९ शश १०९ शाक्यवति ७३ शान्तिचन्द्रसूरि १०५ शान्तिनाथ चरित्र २८ शान्तिपर्व ९६ (टि.), ९७ शान्तिसूरि १०७, १०८ शान्त्याचार्य १०० (टि.) ११४ (दि.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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