Book Title: Prakirna Stavano
Author(s): Bhuvanchandravijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ १३८ जिनचित्त मीठी दया दीठी, राणी राजूल परिहरी, संसार टाली सीयल पाली, नेमी मुगति वधू वरी. ३ जास्यू ए जास्यू ए देव जीराउलें ए, करस्यूं ए सफल बे हाथ के, साथ मिल्यो संघ सामठो ए, पूजवा पूजवा पारसनाथ के, जास्यूं ए देव जीराउलें ए, जीराउलो जगनाथ जाणी, हिंइं आणी वासना, मन मान मोडी हाथ जोडी, गायस्युं गुण पासना, ढ ढोल ढमकें घूघर घमकें रंग रूडी वासना, प्रभु सेव करतां ध्यान धरतां सूखे आवे आसना. ४ साचो ए, जिन साचोर नो ए, त्रिभूवन मंडण वीर के, धीरपणे जिण तप तप्यो ए, सोवन सोवन वान सरिर के, साचो ए जिन साचोरनो ए, साचो सामी सदा साचो, चोपट मल चिहुं दिश तपें, प्रभु पाप चूरें आस पूरें, जाप जोगीसर जपें, ससि सुर मंडल कांने कुंडल, हिइं हार सोहामणो, जिनराज आज दयाल देखी, उपनो उलट घणो. ५ पंच ए पंच मेरु समान के, पंच ए तीरथ जे स्तवें ए, स(त)सु घरि तसु घरि नवेय निधान के, तस घरि रंग वधामणां अनुसन्धान-५६ तिहां घरें तिहां घरें अंगण पवीत्र के, नर नारि करे रे आणंद के, मुनी लावण्यसमें भणें ए, इम भणें लावण्यसमय भावन्न तस घरें, जय जय कार ए, इम कहें कवियणसु एगे भवियण पामे भव पार ए. ६ नवेरी (३) आसना (४) इति श्रीपंचतिर्थिजिनस्तवनं श्रीखिरपुर मध्ये शांतिनाथप्रशादात् स्वात्मार्थे श्री... शब्दकोश नवतर, नवीन आराम ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10