Book Title: Prakaran Ratna
Author(s): Nagardas Pragjibhai
Publisher: Nagardas Pragjibhai

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Page 8
________________ [३] कार १ पोरिसीए २, पुरिमले ३ गास णं च ४ आयामं ५॥ पुंडरियं च सरंतो, फलकंखी कुणश् श्र. भत्त ६ ॥१६॥ छ म दसम ३ वा. लसाणं, मासक ५ मास खवणाणं ६॥तिगरण सुद्धो लहर, सित्तुंज्जं संजरंतो अ॥१७॥ छठेणं जत्तेणं, अप्पाणेणं तु सत्त जताई॥ जो कुण सेत्तुंजे, तश्य नवे बह सो मुख्खं ॥१७॥ अज्ज. वि दीस लोए, भत्तं चईजण पुंडरिए नगे ॥ सग्गे सुहेण वच्चर, सोलविहुणो वि होऊणं ॥ छत्तं झयपमागं, चामरनिंगारथालदाणेण ॥ वि. जाहरो अहवइ, तह चक्की होइरहदाणा॥२०॥ दस वीस तीस चत्तालपन्नासा पुप्फदामदाणेण लहर चउत्थछट्टम, दसम पुवालस फलाइं॥ १॥ धूवे पक्खुववासो, मासख्खमणं कपूरधूवं. मि ॥ कित्तिय मासख्खमणं, साहुपमिलाभिए लहइ ॥२२॥ न वि तं सुवन्ननूमि-जूसण दा. णेण अन्नतित्थेसु ॥ जं पावर पुन्नफलं, पूथा न्हवणेण सित्तुंजे॥३॥ कंतार? चोर सावय३,

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