Book Title: Prachin Jain Ram Sahitya me Sita Author(s): Lakshminarayan Dube Publisher: Z_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf View full book textPage 6
________________ काश्मीरी रामायण' अथवा 'रामावतार चरित' मार्गों न गांग गंगलिया गंगाजल पानी, गंगाजल पानी हो (अट्ठारहवीं शताब्दी) में दिवाकर भट्ट ने रावण के ननदी समुहे के ओवरी लियावउ तौ खना उरेहों हो।। चित्र के ही कारण सीता-त्याग को चरितार्थ होते मांगिन गांग गंगुलिया गंगाजल पानी, गंगाजल पानी हो निरूपित किया है । राम की सगी बहिन सीता से हेइ हो, समुहें के ओबरी लिपाइन तो खना उरेहैं हो। चित्र बनवाती है। हथवा उरेही सीता गोड़वा उरेही अवर उरेही दृइनों __ आंखि । नर्मदा द्वारा रचित गुजराती रामायण 'रामायण- हेइ हो, आइ गये सिरीराम आंचर छोरि मूदिनि हो । नोसार' (उन्नीसवीं शताब्दी) के अनुसार राम सीता को रावण का चित्र खींचते हए और अपनी दासी से ___लोकगीतों में सर्वत्र सीता-परित्याग का कारण रावण के चित्र का निर्माण ही बताया गया है। सीता रावण का वृत्तांत कहते हए सुनते हैं। पहले से ही चित्रकला विशारदा थी और लोकगीतों में जैन हिन्दी रामकथा 'पदम पुराण' (सन् 1661) विवाह के पूर्व भी कई स्थलों पर सीता के चित्रकला में दौलत राम ने भी रावण के चित्र का उल्लेख किया प्रावीण्य का वृत्तांत मिलता है। अतएव, लंका से लौटने के बाद सीता के द्वारा रावण के चित्र के निर्माण में कोई अस्वाभाविकता आती प्रतीत नहीं होती। एक सम्राट जहाँगीर के समय में मूल्ला मसीह या भोजपुरी लोकगीत मोहर में भी इसी भावना की परम सादुल्लाह कैरानवी तखल्लुस मसीह ने फारसी में पुष्टि मिलती हैलिखित 'रामायण मसीही' अथवा 'हदीस-इ-राम-उसीता' के अनुसार राम की बहिन ने सीता से रावण राम अवरु लछुमन भइया, का चित्र खिचवाकर कहा कि सीता रात-दिन इस चित्र आरे एकली बहिनियाँ हइहों की। की पूजा करती है। ए जीवा रामजी बइठेले जेवनखा, बहिन लइया लखे रे की । जैन रावण चित्र-कथा का लोकगीतों पर प्रभाव : ए भइया भौजी के दना बनवसवा, जिनि . खना उरेहे ले की। इस मूलस्रोत को हमारे लोकगीतों ने भी स्वी जिनि सीता भूखा के भोजन देली, कार किया है। लोकगीतों में सीता-परित्याग की घटना और लागा के बहतरवा ।। का अत्यन्त मार्मिक वर्णन तथा सीता का चरित्र-चित्रण होनी से हो सीता गहबाइ रे आसापति, मिलता है। एक अवधी सोहर लोकगीत में ननद के कइसे बनवासिन हो कि । कहने से सीता ने रावण का चित्र बनाया था इसी प्रकार एक बुन्देली लोकगीत में भी सीताननद भौजाई दुइनों पानी गयीं अरे पानी गयीं। निर्वासन का कारण रावण के चित्र का निर्माण हैभौजी जौन खन तुम्हें हरि लेइ ग उरेहि देखावहु हो । जौमें खना उरेहों उरेहि देखावउं, उरेहि देखाव उना। चौक चंदन बिन आंगन सनौ कोयल बिन अमराई । ननदी सनि पइहैं बिरना तोहार तौ देसवा निकरि हैं हो ॥ रामा विना मोरी सूनी अजोध्या लछमन बिन ठकुराई ।। लाख दोहइया राजा दशरथ राम मथवा छुवो, सीता बिना मोरी सनी रसोइया कौन करे चतुराई । राम मथवा छुवोना। आम इमलिया की नन्हीं नन्हीं पतियाँ, नीम की शीतल भौजी लाख दोहइया लछिमन भइया जौ भइया बताव हो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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