Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 13
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 19
________________ ( १८ ) उपदेश कर जैन बनाये बापना गौत्र स्थापन किया तथा पूर्व रत्नप्रभसूरि द्वारा स्थापित बाफना गौत्र भी इनमें मिलगया इत्यादि" . ___कसौटी-इस घटना का समय जिनवल्लभ सरि और जिनदत्त सूरि से संबन्ध रखता हैं अतएव वि०सं० ११७० के आस पास का समझा जासकता है उस समय धारा या जालौर पर कोई खवन सञ्चू नामक व्यक्ति का अस्तित्व था या नहीं इस के लिये हम यहाँ दोनों स्थानों की वंशावलियों का उल्लेख कर देते है बालौर के पवार' राजा । धारा के पँवार राजा चन्दन राजा नर वर्मा (वि० सं० ११६४) देवराज यशोवर्मा ( ,, . ११९२) अप्राजित जयवर्मा धारावर्ष ।. विजल विजल . लक्षणवर्मा ( , ६२००) हरिचन्द्र (, १२३६) विशालदेव ( वि. ११७४ ) (जालोर तोपखाना का शिलालेख) । (पॅवारों का इतिहास से ) कुंतपाल (वि० १२३६ ) जालौर और धारा के राजाओं में जवन सच्चू की गन्ध तक भी नहीं मिलती है फिर समझ में नहीं आता है कि यतिजी ने यह गप्प क्यों हांक दी होगी ? ____आचार्य रत्नप्रभसूरि ने बाफना पहिला बनाया था तो यतिजी लिखते ही हैं फिर दादाजी ने बाफना गौत्र क्यों स्थापित किया और

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